मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

चला फिर साथ कितनी दूर तलक कोई !!!!



















शब्‍दों का मरहम तो लगाया होगा तुमने जाने कितनी बार
कभी रोते हुये को भी हँसाया होगा तुमने जाने कितनी बार  ।

सहमी है जिंदगी कतरा-कतरा हर ख्‍वाब दफन होता हो जहां,
इन हालातों में कहते हो संभल के चलना जाने कितनी बार ।

रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।

चला फिर साथ कितनी दूर तलक कोई ये कहना जरूरी तो नहीं,
थक कर मन को अपने समझाया होगा तुमने जाने कितनी बार ।

मंजिले अपनी जगह ठहरी रही कदम बेतहाशा दौड़ा किये फिर भी,
रूठा मेरा नसीब पहुँचने से पहले उन तक सदा जाने कितनी बार ।


34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेह्तरीन लाजबाब ग़ज़ल की प्रस्तुति.

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  2. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।

    चला फिर साथ कितनी दूर तलक कोई ये कहना जरूरी तो नहीं,
    थक कर मन को अपने समझाया होगा तुमने जाने कितनी बार ।

    मंजिले अपनी जगह ठहरी रही कदम बेतहाशा दौड़ा किये फिर भी,
    रूठा मेरा नसीब पहुँचने से पहले उन तक सदा जाने कितनी बार ।

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति रूपकात्मक तत्व लिए बढ़िया रचाव अर्थ और भाव अभिव्यक्ति .

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  3. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।

    चला फिर साथ कितनी दूर तलक कोई ये कहना जरूरी तो नहीं,
    थक कर मन को अपने समझाया होगा तुमने जाने कितनी बार ।
    लाजबाब सुंदर गजल !!!
    LATEST POSTसपना और तुम

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  4. बहुत खूबसूरत और दिल छूती हुई ग़ज़ल......
    सस्नेह
    अनु

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  5. चला फिर साथ कितनी दूर तलक कोई ये कहना जरूरी तो नहीं,
    थक कर मन को अपने समझाया होगा तुमने जाने कितनी बार ।
    ...बहुत खूब! बेहतरीन ग़ज़ल...

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  6. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।
    वाह .....खूब लिखा है

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  7. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।

    न जाने क्यों यह रचना बड़ी अपनी सी लगी .... अंतस को छू गयी ।

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  8. उम्दा,बहुत प्रभावीशाली गजल,!!!के लिए बधाई सदा जी,,,,

    recent post : भूल जाते है लोग,

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  9. क्या खूब कहा आपने..........
    इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको....
    नवसंवत्सर की मंगलमय शुभ कामनाएं ....
    धन्यवाद....

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  10. आज की ब्लॉग बुलेटिन दिल दा मामला है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  11. सहमी है जिन्दगी कतरा कतरा -------|
    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना मन को छू गयी |

    आशा

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  12. मंजिले अपनी जगह ठहरी रही कदम बेतहाशा दौड़ा किये....
    लाजवाब ..बढ़िया ...

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  13. बहुत सुंदर !गहन भाव दशा को व्यक्त करतीं पंक्तियाँ...

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  14. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ..

    गांठ कागा के रिश्ते चलते कहां हैं ... फिर तो बस ढोए जाते हैं ...
    गहन भाव लिक्ये सोचने को विबश करती रचना ...

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  15. प्रगाढ़ अनुभूतियों की सुन्दर रचना .बहुत खूब .

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  16. मंजिले अपनी जगह ठहरी रही कदम बेतहाशा दौड़ा किये फिर भी,
    रूठा मेरा नसीब पहुँचने से पहले उन तक सदा जाने कितनी बार ।

    ...सब नसीबों का खेल है ...जो लिखा वह मिटता नहीं ...
    बहुत बढ़िया

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  17. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।

    बेबाक बाते दिल खोलकर निःशब्द करती

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  18. बहुत सुंदर! दिल को छू गयी रचना....
    ~सादर!!!

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  19. नवसंवत्सर की शुभकामनायें
    आपको आपके परिवार को हिन्दू नववर्ष
    की मंगल कामनायें

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  20. बारहा पढ़ने लायक बहुत खूब प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए .

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  21. मंजिले अपनी जगह ठहरी रही कदम बेतहाशा दौड़ा किये फिर भी,
    रूठा मेरा नसीब पहुँचने से पहले उन तक सदा जाने कितनी बार ।

    बहुत खूब लिखा है शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  22. रिश्‍तों की डोरियाँ बूढ़ी हो चली हैं जाने कब कौन साथ छोड़ दे,
    लगाकर गाँठ तुमने इनको चलाया भी होगा जाने कितनी बार ।
    bahut sundar panktiyaan.....

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  23. गहन भाव लिये सुंदर प्रस्तुति.

    नवसंवत्सर की शुभकामनाएँ.

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  24. मंजिले अपनी जगह ठहरी रही कदम बेतहाशा दौड़ा किये फिर भी,
    रूठा मेरा नसीब पहुँचने से पहले उन तक सदा जाने कितनी बार
    दिल को छू ली
    शुभकामनायें !!

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  25. सुंदर रचना...
    हर पंक्ति गहन भावपूर्ण।।।।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....