दबी जुबान का सच
सुनकर तुम्हें
यक़ीन होता है क्या ???
फिर आखिर उस सच के मायने
बदल ही गये न !
शक़ का घेरा कसा पर यह कसाव
किस पर हुआ कैसे हुआ
हर बात बेमानी हुई
सच आज भी अपनी जगह अटल है
पर दबी जुबान का सच
शक़ के घेरे में ही रहता है
यक़ीन के रास्ते में
जब भी दोहरापन आता है
सच दूर खड़ा होकर उसकी इस हरक़त पर
उसे ही तिरस्कृत करता है
...
जाने क्यूँ लोग सच की भी परतें उतारने लगते हैं
छीलते जाते हैं - छीलते जाते है इतना
जब तक सच के नीचे दब न जायें
भूल जाते हैं परत-दर-परत सच का वज़न
और बढ़ता जाएगा फिर वही सच
सवालों के कटघरे में अपनी परतों के साथ
सुबूत बन जाएगा उसके खिलाफ़
विश्वास का कत्ल किया, सच को गुनहगार बनाया
फिर भी जी नहीं माना तो खुद को
बेक़सूर बता निर्दोष होने की दुहाई दी
और समर्पण कर दिया !!!
यक़ीन होता है क्या ???
फिर आखिर उस सच के मायने
बदल ही गये न !
शक़ का घेरा कसा पर यह कसाव
किस पर हुआ कैसे हुआ
हर बात बेमानी हुई
सच आज भी अपनी जगह अटल है
पर दबी जुबान का सच
शक़ के घेरे में ही रहता है
यक़ीन के रास्ते में
जब भी दोहरापन आता है
सच दूर खड़ा होकर उसकी इस हरक़त पर
उसे ही तिरस्कृत करता है
...
जाने क्यूँ लोग सच की भी परतें उतारने लगते हैं
छीलते जाते हैं - छीलते जाते है इतना
जब तक सच के नीचे दब न जायें
भूल जाते हैं परत-दर-परत सच का वज़न
और बढ़ता जाएगा फिर वही सच
सवालों के कटघरे में अपनी परतों के साथ
सुबूत बन जाएगा उसके खिलाफ़
विश्वास का कत्ल किया, सच को गुनहगार बनाया
फिर भी जी नहीं माना तो खुद को
बेक़सूर बता निर्दोष होने की दुहाई दी
और समर्पण कर दिया !!!
विश्वास का कत्ल किया, सच को गुनहगार बनाया
जवाब देंहटाएंफिर भी जी नहीं माना तो खुद को
बेक़सूर बता निर्दोष होने की दुहाई दी
और समर्पण कर दिया !!!
सुंदर प्रस्तुति , बधाई
bahut sundar abhiwykti
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार.
जवाब देंहटाएंकौन कहता है सच खुलकर..... सब समझौतावादी हुए....
जवाब देंहटाएंदबी जुबान के सच को सजा भुगतने की आदत सी हो जाती है...
जवाब देंहटाएंउमड़ते भाव का सच्चा चित्रण ....
सच तो हर हाल मे सच रहता है
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव. ऑस्कर पिस्तोरिउस का ताज़ा मामला ही देख लीजिये.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई ...
जवाब देंहटाएंसमझौतों से ज़िन्दगी नहीं चलती
जवाब देंहटाएंसच कहते तो आज दिल
कुछ और ही होता
या तू होता या मैं होता
पर सच साथ तो होता
न तुम घुटते न मैं घुटता
ये घर आबाद तो होता
सुन्दर रचना | पर समझौते के जीवन की उम्र ज्यादा नहीं होती | आभार
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
विश्वास का कत्ल किया, सच को गुनहगार बनाया
जवाब देंहटाएंफिर भी जी नहीं माना तो खुद को
बेक़सूर बता निर्दोष होने की दुहाई दी
और समर्पण कर दिया !!!
बहुत उम्दा भावपूर्ण रचना ,,,,
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सच आज भी अपनी जगह अटल है
जवाब देंहटाएंपर दबी जुबान का सच
शक़ के घेरे में ही रहता है
शत प्रतिशत सच कहा आपने . वैसे ताकतवर के सच को दबी जुबान से ही कहा जाता है क्योंकि कहीं वह सच जुबान हमेशा के लिए खामोश न कर दे .
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात
सच का सौन्दर्य बने रहने देने में ही भलाई है..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-02-2013) के चर्चा मंच-1165 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया आदरेया -
जवाब देंहटाएंआभार आपका ||
अति सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंसच आखिर तक सच ही रहता है, हाँ कड़वा जरुर हो जाता है... गहन भाव... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंजाने क्यूँ लोग सच की भी परतें उतारने लगते हैं
जवाब देंहटाएंछीलते जाते हैं - छीलते जाते है इतना
जब तक सच के नीचे दब न जायें
भूल जाते हैं परत-दर-परत सच का वज़न
और बढ़ता जाएगा फिर वही सच
सवालों के कटघरे में अपनी परतों के साथ
बहुत खूब!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना, शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप जी E-mail से
जवाब देंहटाएंदबी ज़ुबान का सच .... भले ही शक के घेरे में रहे पर होता तो सच ही है .....कितना भी झुठलाओ सच का वज़न हमेशा ज्यादा होता है .....खुद को निर्दोष बताने के लिए भले ही कोई सच को दबाये पर वो खुद से नहीं भाग सकता ...... सशक्त अभिव्यक्ति ॥
बेहतरीन प्रस्तुति दीदी
जवाब देंहटाएंमनोवैज्ञानिक तत्व लिए बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सही बयान करती कविता |सच के वजन को तो बढ़ना ही है |
जवाब देंहटाएंआशा
ये बात तो सही है की सच कभी हारता नहीं है .......वक्त में दब जरुर जाता है कुछ वक्त के लिए ...पर वो सामने आता जरूर है
जवाब देंहटाएंविश्वास का कत्ल किया, सच को गुनहगार बनाया
जवाब देंहटाएंफिर भी जी नहीं माना तो खुद को
बेक़सूर बता निर्दोष होने की दुहाई दी
और समर्पण कर दिया !!!
....बहुत खूब! बहुत सशक्त अभिव्यक्ति...
शुक्रिया सदा मेरी कविता को पसंद करने के लिए
जवाब देंहटाएंआपकी ये नज़्म पढ़ी . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
सच के कई शेड्स है इसमें. शब्द भावपूर्ण है . और सही है कि सच हमेशा ही उभर कर आता है . आपकी दूसरी सारी रचनाये भी सुन्दर है .
विजय
www.poemsofvijay.blogspot.in