मेरी चुप्पी से यदि कोई आहत है
तो वो है मेरा अन्तर्मन
जो कहना चाहता है गलत को गलत
बुरे को बुरा पर यहाँ
सच का साथ देने पर कहा जाता है
आक्रोशित मत हो, वक्त आने दो
वक़्त तो ये आया और वो गया
और छला गया व्यक्तित्व !!!!
...
धैर्य की परिभाषा यदि
खामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना
यदि किसी वर्ग विशेष अथवा किसी की
व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना है तो
इसकी शुरूआत कहाँ से हुई
किससे हुई एक नज़र वहाँ भी
उठनी चाहिये न कि शांति का पाठ पढ़ाकर
उन भावनाओं को एक नई गल्ती की प्रतीक्षा में
मौन हो कतारबद्ध कर देना चाहिये !!!!
....
तो वो है मेरा अन्तर्मन
जो कहना चाहता है गलत को गलत
बुरे को बुरा पर यहाँ
सच का साथ देने पर कहा जाता है
आक्रोशित मत हो, वक्त आने दो
वक़्त तो ये आया और वो गया
और छला गया व्यक्तित्व !!!!
...
धैर्य की परिभाषा यदि
खामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना
यदि किसी वर्ग विशेष अथवा किसी की
व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना है तो
इसकी शुरूआत कहाँ से हुई
किससे हुई एक नज़र वहाँ भी
उठनी चाहिये न कि शांति का पाठ पढ़ाकर
उन भावनाओं को एक नई गल्ती की प्रतीक्षा में
मौन हो कतारबद्ध कर देना चाहिये !!!!
....
हाँ सदा ...घुटन होती है इस हेल्प्लेस्नेस से ......सच को सच और झूठ को झूठ अब कहना ही होगा ...!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसार्थक बात कहती सुंदर रचना .... पर एक जवाब ये भी हो सकता है ...
आहत हुयी भावना निज की
तब आवाज़ उठाई
गलत सही पहचान न पाकर
व्यंग्य वाण ने सेंध लगाई
सुन सुन कर
क्षुब्ध हुआ बहुत मन
सोचा क्या श्रेयष्कर है
निज पर उछले कीचड़ तो
लगा मौन बेहतर है .... :):)
धैर्य की परिभाषा यदि
जवाब देंहटाएंखामोशी अख्तियार करना है तो..
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आहत अंतर्मन की मुखर व्यथा...दूर तक असर करती ....
सच बात है .....असमय मौन हानि कारक होता है ....!!मौन रह कर अपनी बात स्पष्ट भी तो नहीं की जा सकती ...
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति सदा जी ....
kya baat kahi hae..wah
जवाब देंहटाएंक्या सच कहा है..
जवाब देंहटाएंbahut khoob..... Sada, sis... bahut umda Rachna.. Badhai
जवाब देंहटाएंmeri nayi Rachna par apka swagat hai
धैर्य की परिभाषा यदि
जवाब देंहटाएंखामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये
बिल्कुल सही कहा
आज मिजाज़ में कुछ गर्मी सी है.......मिजाज़ में कभी हलकी आँच भी ज़रूरी है.....ज्यादा ठन्डे होने पर सिर्फ राख ही बचती है जो किसी काम की नहीं रह जाती है ।
जवाब देंहटाएंsahi kaha sada ji chuppi se antarman hi sabse jyada vyathit hota hai .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . बद्दुवायें ये हैं उस माँ की खोयी है जिसने दामिनी , आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंधैर्य की परिभाषा ख़ामोशी नहीं है, वो है इंतज़ार और सही वक़्त आने पर एक लोहार वाला प्राहर करने की है |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वक्त रहते यदि आवाज नहीं उठाई तो वक्त हाथ से निकल जाता है..आक्रोश को शब्द मिलने ही चाहिए
जवाब देंहटाएंधैर्य तो ज़रूरी है पर खामोशी नहीं, वक़्त पर आवाज़ उठाना ही हमारी धीरता है... गहरे भाव, बधाई.
जवाब देंहटाएंबात तो सही है.....
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
धैर्य की परिभाषा यदि
जवाब देंहटाएंखामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये
वाह! क्या बात कही है आपने..
bahut sundar kaha aapne is baat ko .
जवाब देंहटाएंमौन दर्द की मौन सुनवाई ही होती है - चीखे नहीं, सड़क पर खुद उतर नाम को नहीं जलाया तो उम्मीद किससे ? पहले तमाशा बनाओ,फिर देखो कितनों को चैन आता है
जवाब देंहटाएंBAHUT KHOOB,
जवाब देंहटाएंधैर्य की परिभाषा यदि
जवाब देंहटाएंखामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना
यदि किसी वर्ग विशेष अथवा किसी की
व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना है तो
इसकी शुरूआत कहाँ से हुई
किससे हुई एक नज़र वहाँ भी
उठनी चाहिये न कि शांति का पाठ पढ़ाकर
उन भावनाओं को एक नई गल्ती की प्रतीक्षा में
मौन हो कतारबद्ध कर देना चाहिये !!!!
एक सत्य आपकी बातों से पूर्णतः सहमत . सुन्दर और सशक्त कथन के लिए प्रणाम।
सत्य वचन।
जवाब देंहटाएंधैर्य की परिभाषा यदि
जवाब देंहटाएंखामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये ..
सच है धैर्य को कभी कभी कायरता मान लिया जाता है ... पर ऐसा नही होता .. इस बात का एहसास जरूर कराना चाहिए ...
मन को धैर्य कहाँ सुहाता है, उसे तो सदा कुछ न कुछ करना होता है।
जवाब देंहटाएंअन्याय के विरुद्ध आवाज तो उठनी ही चाहिए ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
सादर !
धैर्य की परिभाषा यदि
जवाब देंहटाएंखामोशी अख्तियार करना है तो
इस परिभाषा को बदला जाना चाहिये............
मौन की आवाज़ कोई सुनता नहीं....चीखें ही अनसुनी कर दी जाती हैं....
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
सस्नेह
अनु
सही कहा आपने सच बोलने का कोई समय और वक्त नहीं होता है
जवाब देंहटाएंसचाई को सचाई दिखाती रचना
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंवाह,एक गहन भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआहत मौन मुखर होना ही चाहिए
ख़ामोशी एक हद तक ही बर्दाश्त होती है !
जवाब देंहटाएं