मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,
तुम्हारे आस-पास से
उन ख्यालों को खड़ा कर दूंगी
तपती धूप में
सूख जाएंगे वे इस कदर
कि उन्हें जब चाहे
तोड़ा जा सकेगा
आसानी से तिनके की तरह
उंगलियों के बीच पोरों में दबाकर
बिल्कुल सही समझा तुमने
वही पोर जिनसे हम
कभी ऐसे पलों में पोछ लेते हैं
आंसुओं को ....
सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
जाने क्यूँ सब से
ज्यादा हो जाती थी
जब कोई तुझसे ये शिकायत करता था
तुझे मुझसे बहुत प्यार है
मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
कभी तो शायद
उसका ये भरम टूट जाता ...
यादों में निशानियाँ रखना है
तो सीख ले
ये हुनर दिल से
करीने से सजी यादों के
बीच खुद तन्हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
किसी मूक दर्शक की तरह
जैसे कोई
चलचित्र हो रज़तपट पर वो जिन्दगी का ...
....अहसास जगा दिए आपने कोमल भावों से परिपूर्ण सुंदर प्रस्तुति आपकी कविता पसंद आयी
जवाब देंहटाएंशब्द कभी कभी शब्द कम पड़ जाते हैं प्रतिक्रिया देते हुए.....
बेहद खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंसादर
मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,
जवाब देंहटाएंवाकई कोमल अहसासों को करीने से सजाया है।
बेहद खूबसूरत भाव संजोये हैं।
जवाब देंहटाएंतुम्हारे आस-पास से
जवाब देंहटाएंउन ख्यालों को खड़ा कर दूंगी
तपती धूप में
सूख जाएंगे वे इस कदर
कि उन्हें जब चाहे
तोड़ा जा सकेगा ...
मन की कोमल जज्बात जब बहते हैं तो रुकते नहीं ... ख्यालों को तोड़ने से कभी कभी जीवन भी टूट जाता है ...
करीने से सजी यादों के
जवाब देंहटाएंबीच खुद तन्हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
किसी मूक दर्शक की तरह
गहन अभिव्यक्ति
kuch gazal sa kuch bikhre harf sa
जवाब देंहटाएंNishabd kar deteen hain aap!
हटाएंकरीने से सजी यादों के
जवाब देंहटाएंबीच खुद तन्हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
किसी मूक दर्शक की तरह
जैसे कोई
चलचित्र हो रज़तपट पर वो जिन्दगी का ...ye lines prabhawit karti hain...
बहुत खूब सदा जी शानदार है पोस्ट और तस्वीर भी बहुत प्यारी है......एक बात की आपका ब्लॉग खुलने में काफी वक़्त लेता है हो सके तो कुछ विजेट कम करे उससे लोड कम होगा|
जवाब देंहटाएंकरीने से सजे यादों के अहसासों की प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.,
जवाब देंहटाएंwelcome to my post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
प्रभावशाली रचना ...
जवाब देंहटाएंकरीने से सजी यादों के
जवाब देंहटाएंबीच खुद तन्हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
किसी मूक दर्शक की तरह
जैसे कोई
चलचित्र हो रज़तपट पर वो जिन्दगी का ...
yaadon kaa safar kabhee khatm nahee huaa naa hogaa,kabhee rulaataa kabhee hansaataa
यादों में निशानियाँ रखना है
जवाब देंहटाएंतो सीख ले
ये हुनर दिल से
करीने से सजी यादों के
बीच खुद तन्हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
....लाज़वाब कोमल अहसास ...बहुत उत्क्रष्ट प्रस्तुति ..आभार
सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
जवाब देंहटाएंजाने क्यूँ सब से
ज्यादा हो जाती थी
जब कोई तुझसे ये शिकायत करता था
तुझे मुझसे बहुत प्यार है
मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
कभी तो शायद
उसका ये भरम टूट जाता ...
बहुत बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
सस्नेह.
वाह! बेहद सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई...
एहसास तपा कर तोड़ देने का बिम्ब जीवन के कितने निकट है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,.....अहसासों को खुबसूरत अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना ..प्रभावशाली है इसका लिखा हर शब्द.
जवाब देंहटाएंवैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अहसास।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण..
जवाब देंहटाएंNEW POST...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
waah behad sunder rachna, lajwab prastuti............
जवाब देंहटाएंzindagi mein na jaane kaise kaise ehsaas hote hain ki dil mein dard thahar jata hai...behad bhaavpurn rachna, shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंsada ji
जवाब देंहटाएंbahut hi gahan bhav liye hai aapki prastuti
hamesha ki tarah ------shandaar
poonam
मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,
जवाब देंहटाएंतुम्हारे आस-पास से
उन ख्यालों को खड़ा कर दूंगी
तपती धूप में
सूख जाएंगे वे इस कदर
कि उन्हें जब चाहे
तोड़ा जा सकेगा
आसानी से तिनके की तरह
उंगलियों के बीच पोरों में दबाकर....
कोमल मन के मजबूत एहसास
gahan bhaavon se paripoorn sundar rachna.
जवाब देंहटाएंपढ़कर अच्छा लगा ,बेहतरीन
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
बेहद खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंपढ़कर अच्छा लगा
सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
जवाब देंहटाएंजाने क्यूँ सब से
ज्यादा हो जाती थी
जब कोई तुझसे ये शिकायत करता था
तुझे मुझसे बहुत प्यार है
मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
कभी तो शायद
उसका ये भरम टूट जाता ...
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कविता का एक एक शब्द अनूठा है दिल को छूने वाला ..वाह सदा जी !!