तुम इसे तर्पण समझो
या समर्पण स्नेह का
हथेलियों में मेरी
पावन जल है गंगा का
जिसमें कुछ
बूंदे मैने अश्कों की
मिला दी हैं
यह भावना का श्रृंगार है
तुम्हारे प्रति
आस्था है मेरी
जिसके लिए मुझे
जरूरत नहीं है
किसी रक्त बंधन की
मेरी धमनियों में
प्रवाहित वह स्पर्शहीन
स्नेह उसी वेग से
संचार कर रहा है
जैसे रक्त समस्त
कोशिकाओं में करता है ....
शब्द तुम्हारे मुझे
प्रेरित करते हैं
वाणी तुम्हारी मुझे
दिशा देती है
यशस्वी भव
जैसे मां कहती है ....
अपनी जन्म देने वाली संतान को ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति,बेहतरीन रचना,...
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...कामयाबी...
kinte arth samete rachnaa
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंफिर - superb
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्द..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
शब्द तुम्हारे मुझे
जवाब देंहटाएंप्रेरित करते हैं
वाणी तुम्हारी मुझे
दिशा देती है
यशस्वी भव
जैसे मां कहती है ....
अपनी जन्म देने वाली संतान को ... bahut hi sundar rchna hai ,bdhaai aap ko
गौ वंश रक्षा मंच: श्री गोपाल गौशाला
जवाब देंहटाएंgauvanshrakshamanch.blogspot.com par aap saadar aamntrit hai ...shukriya
सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंमेरी धमनियों में
जवाब देंहटाएंप्रवाहित वह स्पर्शहीन
स्नेह उसी वेग से
संचार कर रहा है
सुन्दर रचना...
सादर
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंहथेलियों में मेरी
जवाब देंहटाएंपावन जल है गंगा का
जिसमें कुछ
बूंदे मैने अश्कों की
मिला दी हैं
यह भावना का श्रृंगार है
तुम्हारे प्रति
.....
कमाल का भाव लिखा है सदा जी वाह !
सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
हथेली में गंगा जल जिसमें अश्कों का आ मिलना ! वाह! बहुत सुंदर सदा जी।
जवाब देंहटाएंइस रचना में आपने जो भावों की सरिता बहाई है, उसमें से तिरना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंवाणी तुम्हारी मुझे
जवाब देंहटाएंदिशा देती है,सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति..
बहुत सुंदर रचना.... बहुत ही ...
जवाब देंहटाएंkhaoon ka sambandh hi sabkuch nahi hei ...
जवाब देंहटाएंसुंदर ...मन के प्यारे भाव संजोये हैं....
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhav ki rachna...............
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 16-02-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज...हम भी गुजरे जमाने हुये .
बहुत सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbahut sundar.
जवाब देंहटाएंtumhare prati astha hai meri, sahi mai sunder kavita.
जवाब देंहटाएंअनूठी रचना. बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंmain jeetee hoon tumhein
जवाब देंहटाएंtum saans meree......
very....................nice
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सदा जी ...
सस्नेह..
तर्पण और समर्पण.. गंगा जल और आंसू.. कमाल की अभिव्यक्ति है सदा जी!!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-791:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत सुन्दर प्रेम की अनुभूति ....प्रेम का यही स्वरूप सच्चा होता है ...
जवाब देंहटाएंprem kee sundar abhvyakti... aabhaar !
जवाब देंहटाएंkomal samarpit bhavnaon ki sudnar prastuti..
जवाब देंहटाएंसमर्पित प्रेम के कोमल भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तियाँ प्रेम के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ,.....
जवाब देंहटाएंatiuttam prastuti,samarpan prem ka......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंबैहतरीन एवं सराहनीय रचना.......
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
Wah!!! Bahut hi sundar rachna...Behtareen
जवाब देंहटाएंतुम इसे तर्पण समझो
या समर्पण स्नेह का
हथेलियों में मेरी
पावन जल है गंगा का
जिसमें कुछ
बूंदे मैने अश्कों की
मिला दी हैं
Shuruaat hi itni bhavpurn hai ki baar baar padhne ko man karta hai...
मेरी धमनियों में
जवाब देंहटाएंप्रवाहित वह स्पर्शहीन
स्नेह उसी वेग से
संचार कर रहा है.
सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति. बधाई इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये.
वाह!!!!!बहुत सुंदर सदा जी,..अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...सम्बोधन...
बेहद खूबसूरत भाव...
जवाब देंहटाएंbhaav aansoo se bhi aate hain ... sambandh rakt ki boondon se hi nahi hote ... gahre bhaav ...
जवाब देंहटाएं