सोमवार, 19 दिसंबर 2011

कभी तुमसे ....!!!


















प्रेम ... कभी तुमसे
तुम्‍हारे दिल की कहता है
कभी तुम्‍हारे दिल की सुनता है
लेकिन तुमसे वो  नहीं कहता
जो तुम्‍हें पसन्‍द नहीं
वो तुमसे डरता है ...शायद
ये डर भी  इसे
इसी प्रेम ने दिया है
क्‍योंकि इसने तुम्‍हारी खुशियों के साथ
अपनी खुशियां देकर
सौदा कर लिया है मन ही मन
तुम जरा सा भी ना-खुश हो
वह बात इसे मंजूर नहीं होती
बस इसे यही डर सताता है
ये बात कहीं तुम्‍हें  नागवार गुजरी तो  ...
तुम्‍हारा दिल दुखी होगा
वो हंसता है तुम्‍हारी हंसी में
रोता है तुम्‍हारे अश्‍क बहने पे
बहते हुए अश्‍कों के बीच
कभी कर देता है चुपके से
प्रेम ये सवाल भी .... ?
बिखरता है दर्द जब
हद से ज्‍यादा
कुरेद के  ज़ख्‍मी हिस्‍से को
गहराई तक उतरकर
नमी को समेटकर
जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे  ....
...............

41 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम ... कभी तुमसे
    तुम्‍हारे दिल की कहता है
    कभी तुम्‍हारे दिल की सुनता है

    यही तो प्रेम है.....
    बहुत सुंदर.. उम्दा रचना !

    आभार...!!


    मेरी नई रचना "तुम्हे भी याद सताती होगी"

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  2. प्रेम जीवन और दर्द आपस में गुँथे हुये हैं।

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  3. प्रेम और उसमें कहने सुनाने का बंधन ... ऐसा तो नहीं होता प्रेम ... प्रेम तो एक हवा का झोंका है जो बहता है बिना रुकावट के ...
    लाजवाब रचना है ..

    जवाब देंहटाएं
  4. बिखरता है दर्द जब
    हद से ज्‍यादा
    कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे ....

    सुन्दर रचना...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूब प्रेम को अभिव्यक्त करती ये पोस्ट|

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रेम जो ना करा दे जो ना बना दे कम ही है…………सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  7. कल 20/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. यह प्रेम तो बस ऐसा ही है....
    सादर !

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  9. प्रेम तो सब कुछ करवाने में सक्षम होता है ......खुबसूरत अभिव्यक्ति

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  10. प्रेम!!!करना जीवन की खूब शूरत ईश्वरीय देंन है,..चाहे किसी से हो..बेहतरीन प्रस्तुति,...
    मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

    आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
    जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
    कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
    सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
    महत्व है,...
    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

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  11. प्रेम में दर्द और और खुशी दोनो ही है..सुन्दर भावप्रधान रचना..

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  12. बहुत सुंदर.....खुबसूरत रचना !

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  13. प्रेम ही वह भाव है जो इंसान की जिंदगी में हर तरह के बदलाव ला सकता है।
    सुंदर रचना।

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  14. प्रेम और दर्द का तो बहुत गहरा रिश्ता है ....सुंदर भाव

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  15. प्रेम के बारे में कुछ भी कहो
    प्रेम तो बस प्रेम होता है
    ना उसका वर्णन हो सकता
    ना उसका कोई सानी होता
    जिसको होता वही जानता

    जवाब देंहटाएं
  16. प्रेम और दर्द की अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर लगी ....

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  17. दर्द भी जीने की राह सिखा जाता है.....सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  18. बढ़िया अभिव्यक्ति प्यार की .....
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत रूमानी और दर्द भरी अभिव्यक्ति...
    बधाई.

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  20. कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे ....
    बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  21. बिखरता है दर्द जब
    हद से ज्‍यादा
    कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे

    ...प्रेम और दर्द के रिश्ते की बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  22. प्रेम शायद एक- दूसरे को समझने के एहसास का ही नाम है ....बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  23. बिखरता है दर्द जब
    हद से ज्‍यादा
    कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे
    khoobsoorat panktiyaan....

    जवाब देंहटाएं
  24. बिखरता है दर्द जब
    हद से ज्‍यादा
    कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे ..

    खूबसूरत अहसास

    जवाब देंहटाएं
  25. प्रेम की गहनता को कितनी आसानी से पिरो दिया आपने,सुंदर।

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  26. प्रेम की मजबूरी है कि वह प्रेम को दुखी-उदास नहीं देखना चाहता, इसे आपकी कविता बहुत सुंदरता से ब्यान करती है. ये पंक्तियाँ बहुत रचनात्मक हैं-

    बिखरता है दर्द जब
    हद से ज्‍यादा
    कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे ....

    जवाब देंहटाएं
  27. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  28. बिखरता है दर्द जब
    हद से ज्‍यादा
    कुरेद के ज़ख्‍मी हिस्‍से को
    गहराई तक उतरकर
    नमी को समेटकर
    जाने कैसे अश्‍क बना देती हैं आंखे ....
    ............वाकई यह प्रेम भी बड़ा अजीब होता है शायद ही कभी कोई इसे समझ पाया हो आज तक ...म्नोभावों को उजागर करती बहुत ही संवेदन शील प्रस्तुति ....

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