काम मेरा यहां क्या है सत्य एक दिन,
झूठ की बात सुन-सुन कर घबराया था ।
हर शख्स को किसी न किसी से झूठ,
बोलते जब से अपनी नजरों से पाया था।
हिंसा बढ़ गई, अत्याचार, अनाचार के,
साथ अहिंसा को जब से घिरा पाया था।
मतलब से मिलते लोग एक दूसरे से,
अपनों से ज्यादा परायों को पाया था।
रक्षक बन बैठे भक्षक जब से यहां पर,
कातिल खुद को अपना समझ पाया था ।
बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंझूठ नही बोलूँगा,
जवाब देंहटाएंमगर रचना के भाव बहुत अच्छे हैं!
jhuth ke panw lambe hote hain , per sach ko ghabrana kaisa
जवाब देंहटाएंझूठ के सामने सत्य को कितनी बार ही झुकना पड़ता है पर अन्ततः सत्य ही जीतता है।
जवाब देंहटाएंक्या बात कही आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता.
सादर
behtareen...:)
जवाब देंहटाएंआदरणीया सदा जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
अच्छे भावों के साथ अच्छी रचना के लिए आभार !
संसार से स्वार्थ , झूठ , दग़ा , फ़रेब मिट जाए तो धरती ही स्वर्ग हो जाए …
नवरात्रि की शुभकामनाएं !
साथ ही…
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!
*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सच कहा है आज रक्षंक ही भक्षक बन गये हैं .... दिल का क्षोभ निकाला है आपने इस रचना के माध्यम से ...
जवाब देंहटाएंकभी न कभी झूठ को सत्य के सामने हारना ही पड़ता है ...हमेशा सत्य की जीत होती है
जवाब देंहटाएंsundar prastuti sdaji......
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट भाव..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंyahi aaj ka kadva sach hai.
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति....सही कहा
जवाब देंहटाएंयथार्थपरक सुन्दर सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंबिगुल बज चुका है
जवाब देंहटाएंअब भ्रष्टाचारी जान बचाकर भागते नजर आयेगे
भ्रष्टाचारियों को हो फाँसी अब ये मांग हमारी है
जवाब देंहटाएंअन्ना तेरी आवाज़ संग आज आवाज़ हमारी है
जय हिंद ....!!
सत्य को स्थापित करती बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंझूठ कितना भी इतरा ले , जीत तो सत्य की ही होनी है . देर है अंधेर नहीं .
जवाब देंहटाएंaap sabhi se sahmat jhuthh ko to harna hi hai
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट भाव, सुन्दर रचना|
जवाब देंहटाएंआज के हालात पर तीखा व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंआदरणीया सदा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
...अच्छे भावों के साथ अच्छी रचना के लिए आभार !
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमाँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें
कातिल खुद को अपना समझ पाया था...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
शुभकामनाएं.
सदा जी आपके ब्लॉग पर न आकर एक तरह का सूनापन महसूस किया, अच्छी कविताओ से सम्मलेन के लिए आप को बधाई, आपकी वेदनापूर्ण कविताये संपूर्ण शरीर में एक सिहरन महसूस करा देती है , शुभकामनाये
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