उसका दर्द बन गया है अब दवा देखो,
हर पत्ता है खामोश कहां है हवा देखो ।
तुम मनाने की जिद लिये बैठे हो वहां,
कह रहा है दिल कौन है हमनवा देखो ।
तुझसे दूर होकर खुद से बिछड़ गया हूं,
उड़ी-उड़ी सी चेहरे की रंगत हमनवा देखो ।
छूटता हांथ से हांथ तो आंखे बात करती,
कब होगी अगली मुलाकात हमनवा देखो ।
धड़कनें चल रही है तो लोग कहते हैं जिंदा,
वर्ना बुत की मानिन्द हो गया हमनवा देखो ।
छूटता हांथ से हांथ तो आंखे बात करती,
जवाब देंहटाएंधड़कनें चल रही है तो लोग कहते हैं जिंदा,
वर्ना बुत की मानिन्द हो गया हमनवा देखो ।
हाथ से हाथ ना छूटे ...आँखे बात करती रहें ..
शुभकामनायें..!!
सुन्दर रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक बहुत ही सुन्दर एहसास से रची रचना..............बहुत बहुत आभारी.......
जवाब देंहटाएंएहसास को जबरदस्त शब्दों में रच कर बढ़िया श्रंगार किया है.
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
धड़कनें चल रही है तो लोग कहते हैं जिंदा,
जवाब देंहटाएंवर्ना बुत की मानिन्द हो गया हमनवा देखो ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधई.
क्या बात है..एक खूबसूरत रवानी है रचना मे..और गुनगुनाने लायक माधुर्य..बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंधड़कनें चल रही है तो लोग कहते हैं जिंदा,
जवाब देंहटाएंवर्ना बुत की मानिन्द हो गया हमनवा देखो .......
lajawaab hai aapki rachna ... gahre ehsas hein isme ...
baht hi laajaawab rachna.........
जवाब देंहटाएंतुझसे दूर होकर खुद से बिछड़ गया हूं,
उड़ी-उड़ी सी चेहरे की रंगत हमनवा देखो
yeh line bahut achchi lagi...........
maine bhi ek kavita likhi bahut dinon ke baad............ dekhiyega....
http://lekhnee.blogspot.com/2009/09/blog-post_30.html
तो क्यूँ ना माँगूं आसमाँ यहाँ??
धड़कनें चल रही है तो लोग कहते हैं जिंदा,
जवाब देंहटाएंवर्ना बुत की मानिन्द हो गया हमनवा देखो ।
अच्छी रचना है
dil की गहरायों से निकली हुई
सुन्दर भावनाएं