बेटियां होती
दोनों कुल का मान
स्वीकारो ये !
....
बिन बेटी के
ना भाग्य संवरता
जाना ना भूल !
....
बेटी होती है
प्लस का एक चिन्ह
जो जोड़े सदा !
....
बेटी नहीं है
जिन्हें तरसते वो
कन्यादान को !
....
बेटियां होती
बिंदी रोली कुंकुम
पूजा की पात्र !
....
बेटी सावन
चूड़ी मेहँदी झूले
मिल के कहें !
....बेटी सावन
चूड़ी मेहँदी झूले
मिल के कहें !
दोनों कुल का मान
स्वीकारो ये !
....
बिन बेटी के
ना भाग्य संवरता
जाना ना भूल !
....
बेटी होती है
प्लस का एक चिन्ह
जो जोड़े सदा !
....
बेटी नहीं है
जिन्हें तरसते वो
कन्यादान को !
....
बेटियां होती
बिंदी रोली कुंकुम
पूजा की पात्र !
....
बेटी सावन
चूड़ी मेहँदी झूले
मिल के कहें !
....बेटी सावन
चूड़ी मेहँदी झूले
मिल के कहें !
बेटियाँ तो है लम्हा खुशी का...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .... बेटियों से आँगन की रौनक है
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत..हृदय छू लेती कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना। बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना। बधाई
जवाब देंहटाएंशानदार हाईकू
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सारगर्भित हाइकु...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !!! बेटी है तो जग है।
जवाब देंहटाएंसच ...बेटियां ही घर की रौनक होती हैं ...सुन्दर हाइकू
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