सावन आता है तो
कितना कुछ लाता है
चारों ओर फैली हरीतिमा
सब सुध लेने लगते हैं
एक दूसरे की
प्यासी धरती भीग जाती है
अम्बर के स्नेह से
रिश्तों के दरवाज़े पर
होती है एक दस्तक़
आता है संदेशा
मायके से बाबुल का
आ जाओ माँ याद करती है !
...
कितना कुछ याद आता है
इस संदेशे के साथ,
वो कागज़ की नाव
बारिश का पानी
छप! छप!! छपाक!!!
बचपन की गलियाँ
एक शोर उठता है मन में
झूले की पींगें अमराई तले
सखियों का संग लिये
तिरते है कुछ एहसास
नयनों के कोटर भी
बरबस इस बारिश में
जाने-अंजाने भीग जाते हैं !!
...
तभी वीरा मेरा
करता है शिकायत
सबकी बहनें आ गईं
तुम कब आओगी
मन भीग जाता है
स्नेह की इस फुहार से
मेरे ना कहते ही
वो रूठ जाता है
ये बँधन स्नेह का
मेरे कदमों को गति देता है,
जोड़-घटाना करती हूँ
सोचती हूँ दो दिन ना सही
पर एक दिन के लिए तो
उसकी कलाई पे
दुआओं की स्नेह डोर
बाँधने जाना ही होगा
रूठा है वीरा जो
तो उसको मनाना ही होगा!!!!!!!!!
...
स्नेहमयी रचना .... सुन्दर कोमल भावाभिव्यक्ति .....
जवाब देंहटाएंभाई बहन के बीच रुठने मनाने में भी एक प्यार छुपा होता है
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ !
बहुत सुंदर ..रक्षाबंधन की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसमसायिक बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
भाई-बहन की प्रीत के रंग में रंगी सुंदर रचना...रक्षा बंधन की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
निश्छल प्रेम में रंगी सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की बड़ाई ....
"अबके बरस भेज भैया को बाबुल/ सावन में लीजो बुलाय"... और आपकी यह रचना... सावन का सही प्रतिनिधित्व करती रचना.. शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें...
रूठे भैया को मनाने का सुदर निर्णय। शुभ रक्षा-बंधन।
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंवो रूठ जाता है
जवाब देंहटाएंये बँधन स्नेह का
मेरे कदमों को गति देता है,
जोड़-घटाना करती हूँ
....स्नेहमयी रचना ..!!
रिश्तों के दरवाज़े पर
जवाब देंहटाएंहोती है एक दस्तक़
आता है संदेशा
मायके से बाबुल का
आ जाओ माँ याद करती है !
भावविभोर करती सुन्दर रचना ...