सोमवार, 20 मई 2013

शिकायतों की चिट्ठी भी ....

प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
इसने तो बस मन का गहना पहना है ।

कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से,
कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है ।

लाख दूरियाँ वक्‍त ले आये परवाह नहीं,
हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।

दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।

शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
प्रेम विश्‍वास का सदा अनुपम गहना है ।

34 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेममय रचना.

    लाख दूरियाँ वक्‍त ले आये परवाह नहीं,
    हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।


    यही तो सच्चा प्यार है.

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  2. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 22/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. प्रेम में कोई शर्त नहीं ॥बस विश्वास है .... लेकिन न जाने क्यों प्रेम करने वाले ही सबसे ज्यादा शक करते हैं :):)

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  4. प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
    इसने तो बस मन का गहना पहना है ।


    सच में ऐसी रचनाएं कभी कभी ही ब्लाग पर मिलती हैं।
    बहुत सुंदर भाव और प्रस्तुति

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  5. लाख दूरियाँ वक्‍त ले आये परवाह नहीं,
    हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ..

    बहुत खूब .... प्रेम दिल और दिल में ही रहता है ...हकीकत में जीता है ...
    लाजवाब गज़ल ...

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  6. ्सही कहा प्रेम विश्वास का अनुपम गहना है …………सुन्दर प्रस्तुति

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  7. वाह...
    दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
    हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।
    बहुत अच्छी ग़ज़ल..

    सस्नेह
    अनु

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  8. सच्चा प्रेम मन का गहना ही तो होता है,बेहतरीन प्रस्तुति.

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  9. pyar ki gahantam anubhuti ka charam aur param bindu,wah.....gazab

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  10. आपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  11. सुन्दर रचना !!
    में आपके ब्लॉग से जुड़ा हुआ हूँ फिर भी आपकी रचनाएं ब्लोगर डेशबोर्ड पर नहीं आती है जिसके कारण मुझे आपकी पोस्ट का पता हि नहीं चल पाता है !!

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  12. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  13. प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
    इसने तो बस मन का गहना पहना है । ....बहुत सुन्दर ग़ज़ल..आभार !

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  14. सुंदर भावपूर्ण रचना...
    प्रेम को भाषा के लिबास में बांध पाना नितांत मुश्किल है...

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  15. प्रेम विशवास का सदा अनुपम गहना है ,

    ऋषि मुनियों का भी यही कहना है ,

    परमात्म प्रेम में रहना है .ॐ शान्ति .बढ़िया भाव राग

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  16. शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
    प्रेम विश्‍वास का सदा अनुपम गहना है ।

    ...वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  17. प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
    इसने तो बस मन का गहना पहना है ।
    Lekin yebhi dekha ki,prem jab bhasha ka libas pahan leta hai to phir shikayaton me tabdeel ho jata hai!

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  18. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  19. सुना बहुत और कहा ख़ूब, हुआ बहुत कहना-सुनना
    मौन रहें,दो क्षण तौलें, क्या कहना, क्या सुनना है !

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  20. दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
    हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है------

    प्रेम मन के भीतर अंकुरित बीज है
    जैसा पनपेगा वैसा ही फलेगा----
    सुंदर रचना
    सादर

    विचार दें
    ओ मेरी सुबह---------

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  21. प्रेम में शिकायतों की भी इंतज़ार रहती है ....उनका अलग मज़ा है .......
    शुभकामनायें!

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  22. प्रेम की कोई भाषा नहीं होती और न ही कोई दिखावा ...
    सार्थक सुन्दर रचना
    सादर आभार!

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  23. प्रेम की रसधार व्यक्ति को अंतर मुखी बना देती है जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली ,शीशा -ए -दिल में बसी तस्वीरे यार ......श्याम रंग में रंगी चुनरिया अब रंग दूजो भावे न .....तुम मेरे पास होते हो ,जब कोई दूसरा नहीं होता ...

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  24. बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

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  25. दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
    हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।

    वाह बहुत सुन्दर रचना

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  26. प्रेम की कोई भाषा नहीं होती...सुन्दर

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....