कभी मन के खिलाफ़
चली है आँधी तुम्हारे शब्दों की
कभी नहीं चाहते हो जो लिखना वह भी
लिख डालती है कलम एक ही झटके में
वर्जनाओं के घेरे में करती परिक्रमा
शब्दों की तोड़ती है अहम् की सरहदों के पार
कुछ तिनके उड़कर दूर तलक़ जाते हैं
कुछ घोसलों में सजाये जाते हैं
कुछ कदमों तले रौंदे जाते हैं
...
एक ही विषय पर इस मन के
अलग-अलग से ख्यालों की दुनिया
हर बार घूमना, ठिठकना पल भर
कभी इस दिशा से उस दिशा तक जाना
समेटने को सार
चंचल, चपल हो जाना कभी अधीर
उसकी अधीरता ने कई बार
तोड़े हैं नियम जाने कितने ही
जिनकी माफ़ी नहीं होती थी कोई
उसके लिए भी वह अडिगता की धूनी रमा
एक अलख जगा लेता था हर बार
.....
अडिगता का सार
मन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
जो हमेशा ही जीवन में
एक नया दृष्टिकोण देता है
और विचारों को ओजस्विता मिलती है
अडिगता से सफलता की ओर !!!!
चली है आँधी तुम्हारे शब्दों की
कभी नहीं चाहते हो जो लिखना वह भी
लिख डालती है कलम एक ही झटके में
वर्जनाओं के घेरे में करती परिक्रमा
शब्दों की तोड़ती है अहम् की सरहदों के पार
कुछ तिनके उड़कर दूर तलक़ जाते हैं
कुछ घोसलों में सजाये जाते हैं
कुछ कदमों तले रौंदे जाते हैं
...
एक ही विषय पर इस मन के
अलग-अलग से ख्यालों की दुनिया
हर बार घूमना, ठिठकना पल भर
कभी इस दिशा से उस दिशा तक जाना
समेटने को सार
चंचल, चपल हो जाना कभी अधीर
उसकी अधीरता ने कई बार
तोड़े हैं नियम जाने कितने ही
जिनकी माफ़ी नहीं होती थी कोई
उसके लिए भी वह अडिगता की धूनी रमा
एक अलख जगा लेता था हर बार
.....
अडिगता का सार
मन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
जो हमेशा ही जीवन में
एक नया दृष्टिकोण देता है
और विचारों को ओजस्विता मिलती है
अडिगता से सफलता की ओर !!!!
अडिगता का सार
जवाब देंहटाएंमन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
जो हमेशा ही जीवन में
एक नया दृष्टिकोण देता है
और विचारों को ओजस्विता मिलती है
अडिगता से सफलता की ओर !!!!...bahut sundar sacchi baat
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच 1200 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंचंचल मन को थामने की जरुरत है ...
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक लिखा आपने ..
जिनकी माफ़ी नहीं होती थी कोई
जवाब देंहटाएंउसके लिए भी वह अडिगता की धूनी रमा
एक अलख जगा लेता था हर बार
बहुत सुन्दर अहसास लिए रचना...!!!!
बहुत सुन्दर सटीक रचना।..
जवाब देंहटाएंअडिगता का सार
जवाब देंहटाएंमन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
गहन और सार्थक रचना ....सदा जी ...!!
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
जवाब देंहटाएंसकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
जो हमेशा ही जीवन में
एक नया दृष्टिकोण देता है
और विचारों को ओजस्विता मिलती है
अडिगता से सफलता की ओर !!
जिनसे जीवन सफल होता है,ऐसे गहन अर्थों को व्यक्त
करती रचना
सुंदर
बधाई
मन को समझना मन के सहारे, कौन बताता है भला, अपने बारे में।
जवाब देंहटाएंकभी नहीं चाहते हो जो लिखना वह भी
जवाब देंहटाएंलिख डालती है कलम एक ही झटके में
वर्जनाओं के घेरे में करती परिक्रमा
शब्दों की तोड़ती है अहम् की सरहदों के पार
बहुत ही सुन्दर और सटीक रचना...
सस्नेह
अनु
सच अपने मन को टटोलने प्रयास तो करना ही होगा..... उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही आपने | बेहद सुन्दर और सार्थक रचना | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत उम्दा प्रस्तुति ......
जवाब देंहटाएंrecent post....काव्यान्जलि: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
मन को पकड़ना इसकी चंचल गति से परे ही अडिगता ...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना !
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंइस बार तो सहमत होना ही पड़ेगा। एकदम सच्ची बात लिखी है आपने।
जवाब देंहटाएं...सुंदर रचना।
अडिगता का सार
जवाब देंहटाएंमन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
...बिल्कुल सच..बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकभी कभी ऐसी रचना पढ़ने को मिलती है
अडिगता का सार
जवाब देंहटाएंमन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
प्रेरणादायक सार्थक सन्देश देती कविता.
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमन की चंचलता से परे अडिगता ही सकारात्मक दृष्टिकोण है !
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रेरक सन्देश!
मानिसक धुंध और कुहांसे को ,सघन अनुभूतियों को शब्द दिए हैं आपने ,एक दृढता दी है संकल्पों को ,खूबसूरत रचना .आभार आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..इस मन की चंचलता को वश में करना ही सफलता और प्रसन्नता की शुरुआत है।।।
जवाब देंहटाएंजो इस सूत्र को समझ जाए वो सफल हो जाए..
जवाब देंहटाएंअडिगता का सार
जवाब देंहटाएंमन को पकड़ना इसकी चंचलता के परे
सफलता को नये सिरे से पकड़ना
सकारात्मकता की पहली सीढ़ी है
सटीक और सार्थक बात कही है ... सुंदर अभिव्यक्ति
एक ही विषय पर इस मन के
जवाब देंहटाएंअलग-अलग से ख्यालों की दुनिया
हर बार घूमना, ठिठकना पल भर
कभी इस दिशा से उस दिशा तक जाना
समेटने को सार------
जीवन का सच
गहन अनुभूति
उत्कृष्ट रचना