हर शब्द का अर्थ उसके मायने कितना अर्थ लिए होते हैं कोई शब्द किसी को जिन्दगी देता है तो किसी को जीना सिखाता है...! ढूंढना कोई अर्थहीन शब्द तो जरा नहीं है न ...ऐसा कोई शब्द हां .. अर्थ बिना जिन्दगी जरूर आज के समय में हीन (हेय) हो जाती है जीना दुश्वार हो जाता है अपने भी पराये हो जाते हैं भूल जाते हैं इस बात को माथा ऊंचा कर के भला सक्रियता किसी भी कर्म में संभव है क्या ...??? सिर को झुकाना पड़ता है कुछ खोज़ने के लिए कुछ पाने के लिए आंखों को केन्द्रित करना पड़ता है जिन्दगी के पन्नों को कभी गौर से पढ़ना कितने गहन अर्थ लिए होती हैजिन्दगी किसी की भी हो कीमती होती है नन्हीं चींटी से लेकर विशालकाय हाथी हां उनकी उम्र कम ज्यादा हो सकती है उसी तरह जैसे शब्दों के अर्थ होते हैं कोई गहरा समुद्र सा कोई बिल्कुल हल्का जैसे एक मुस्कान औपचारिकता भरी ... !! ढूंढना आंखों के बीच सपने किसी बच्चे की विस्मय से कैसे पुतलियां फैलाकर बताता है ख्वाहिशों के बादल जैसे विचरते हैं गगन में वैसे ही मासूम सपने होते हैं हर आंख में ... !!! तुमने कभी पानी देखा है आंखों में या पनीली आंखे ... नहीं न ये भी बस भावुक होती हैं बिछड़ने की बात तो ठीक है मिलन में भी नमी पलकों में दबे पांव उतर आती है ....!!!! |
शनिवार, 25 फ़रवरी 2012
कोई अर्थहीन शब्द.....!!!
गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012
मुझे यकीन है ...!!!
बँटवारे की ज़मीन पर
जब भी मैने
प्रेम का बीज़ बोया
जाने क्यूँ
वह अंकुरित नहीं हुआ ..
बार-बार वही प्रयास
कभी बीज अंकुरित होता तो
पौधा पनप नहीं पाता
उसकी देख-रेख
करने के लिए जो परिधि निश्चित थी
उसके आगे जाने की
इज़ाजत मुझे नहीं थी ...
.............
मुझे यकीन है
मेरी हथेली पर जितनी भी रेखाएं हैं
उनमें तेरा नाम जरूर होगा
ये बात और है
इसे पढ़ना
हम दोनो को नहीं आता ....
मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012
सहजता में .....
सहजता में एक विश्वास होता है
मन को हर शंका से
निज़ात दिलाना कितना
आसान हो जाता है
लेकिन ... किंतु .. परंतु के दायरे से
कोसो दूर एक सहज छवि
मन के अन्तर्मन में
बस जाती है जब
फिर कोई कितनी भी कोशिश कर ले
उसपर से विश्वास बमुश्किल ही
डिगता है...
जल से अग्नि की दाहकता थमती है जैसे,
वैसे ही ज्ञान से
चित्त को शांत और विचारवान करना
मुश्किल नहीं
सहज और मीठी वाणी
क्रोध को भी परास्त कर देती है ...
आवश्यकता बस धैर्य की रहती है
श्रद्धा का तेल आस्था की बाती से
विश्वास का दीपक जलता है जब
जीवन की सब राहें
सरल और सुगम हो जाती हैं ....
अंधेरे में कोई उजाले की किरण बनकर
जब आता है
दु:ख जाने कैसे छिप जाता है
उस नन्हीं सी किरण के आगे
चेहरे पर आश्चर्यमिश्रित
एक नई आभा से
उस किरण में उजाले की
सहजता छिपी होती है शायद इसलिए ...
बुधवार, 15 फ़रवरी 2012
समर्पण स्नेह का .....
तुम इसे तर्पण समझो
या समर्पण स्नेह का
हथेलियों में मेरी
पावन जल है गंगा का
जिसमें कुछ
बूंदे मैने अश्कों की
मिला दी हैं
यह भावना का श्रृंगार है
तुम्हारे प्रति
आस्था है मेरी
जिसके लिए मुझे
जरूरत नहीं है
किसी रक्त बंधन की
मेरी धमनियों में
प्रवाहित वह स्पर्शहीन
स्नेह उसी वेग से
संचार कर रहा है
जैसे रक्त समस्त
कोशिकाओं में करता है ....
शब्द तुम्हारे मुझे
प्रेरित करते हैं
वाणी तुम्हारी मुझे
दिशा देती है
यशस्वी भव
जैसे मां कहती है ....
अपनी जन्म देने वाली संतान को ...
सोमवार, 13 फ़रवरी 2012
आदरणीय रश्मि जी को जन्मदिन की बधाई ...
इनकी कलम को वरदान मिला है माँ सरस्वती का तभी तो हम सभी का मार्ग प्रशस्त करते हुए अपने नाम को सार्थक कर रही हैं ब्लॉग जगत में ऐसी शख्सियत का होना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है ..इनके बारे में कुछ भी कहना कुछ भी लिखना मेरे लिए सूर्य को दीपक दिखाने जैसा ही होता है पर मेरे मन का हर भाव इनसे जुड़ा है जब से इन्हें जाना है इनके स्नेहाशीष की छाया तले खुद को हर दिन पाती हूँ ... जब भी यह खा़स दिन आता है तो खुद को रोक नहीं पाती आप सबके साथ साझा करने से ...
आपका लेखन जिस विषय पर भी हो प्रत्येक शब्द दिल को छूकर गुज़र जाता है फिर चाहे वह मेरी भावनायें ... पर लिखी गई रचनाएं हो जहां सत्य बोलता है प्रेम जीवंत रहता है और विश्वास मुखर होता है इनकी लेखनी से ...इसके साथ आत्मचिंतन पर उनके आध्यात्मिक विचारों की गंगा बहती है तो वटवृक्ष पर जाने कितने ही जाने-अंजाने रचनाकारों की रचनाओं से साक्षात्कार कराती हुए आदर्श बनती हैं ... इनकी ऊर्जावान जीवन शैली को देखना है तो इन्हें आप देख सकते हैं ब्लॉग बुलेटिन पर .... और कहां - कहां हैं इनकी कलम का जादू यदि सब का सब आपको बताने लगूंगी तो आप सब भी :) मेरे बारे में कोई नई राय बना लेंगे इसलिए फिलहाल इतना ही ...
मैं तो इन्हें अपने ब्लॉग पर अपनी जि़द से लाई हूं ... आज इनका जन्मदिन है ... ये नहीं आतीं तो सब कुछ खाली-खाली और अधूरा सा ही रहता ....
तो ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ ...
आपका लेखन जिस विषय पर भी हो प्रत्येक शब्द दिल को छूकर गुज़र जाता है फिर चाहे वह मेरी भावनायें ... पर लिखी गई रचनाएं हो जहां सत्य बोलता है प्रेम जीवंत रहता है और विश्वास मुखर होता है इनकी लेखनी से ...इसके साथ आत्मचिंतन पर उनके आध्यात्मिक विचारों की गंगा बहती है तो वटवृक्ष पर जाने कितने ही जाने-अंजाने रचनाकारों की रचनाओं से साक्षात्कार कराती हुए आदर्श बनती हैं ... इनकी ऊर्जावान जीवन शैली को देखना है तो इन्हें आप देख सकते हैं ब्लॉग बुलेटिन पर .... और कहां - कहां हैं इनकी कलम का जादू यदि सब का सब आपको बताने लगूंगी तो आप सब भी :) मेरे बारे में कोई नई राय बना लेंगे इसलिए फिलहाल इतना ही ...
मैं तो इन्हें अपने ब्लॉग पर अपनी जि़द से लाई हूं ... आज इनका जन्मदिन है ... ये नहीं आतीं तो सब कुछ खाली-खाली और अधूरा सा ही रहता ....
तो ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ ...
हसरतों की पगडंडियों पर
दौड़ती भागती उम्र ने
फिर एक बसंत
पूरा कर लिया
दुआओं के फूलों से
सजी थी दहलीज़ जिसकी
मन्नतों के पहरे थे जहां पर
अपनों का स्नेह था साथ
जिनमें खिला हर फूल
मुस्कराहट से
अपनी कह रहा था
जन्मदिन मुबारक हो ...
आप सभी के आने का बहुत-बहुत शुक्रिया .. जिसे अदा करने के लिए :) इस बार ये भी हमारे साथ हैं .
एक बच्चे से विद्यालय में प्रवेश के समय प्रिंसीपल सवाल करते हैं ...
बेटा आपकी मॉं का क्या नाम है .....
बच्चा मासूमियत से अभी कुछ रखा नहीं है ''प्यार से मॉं बुलाता हूँ ''
बुधवार, 8 फ़रवरी 2012
उसके लिए !!!
तेरा होना मुहब्बत है
तुम दूर हो
या मेरे नज़दीक
ये बात
कोई मायने नहीं रखती
मेरे लिए
तुम्हारी हंसी
सबसे बड़ी नेमत है
तुम्हें हंसाना वाला कौन है
ये बात
कोई मायने नहीं रखती
मेरे लिए
तुम्हारी खुशियों का
सौदा किया था
मैने रब से
दोनो हाथ उठाकर
मांगी थी दुआएं
कहीं भी कोई दुख हो
तुम्हारे हिस्से का
हंसकर मुझे कुबूल होगा
ये सब तुमसे
कहकर मुझे तुम्हारी नजरों में
ऊंचा नहीं उठना
एक कांटा था
जिसपर तुम्हारे कदम पड़ते
तो चुभन होती तुम्हें
उसपर मैने अपना
पांव रख दिया था हंसते-हंसते .....!
ये सब था बस
उसके लिए!!!
हार कर भी तुम्हारी जीत में मेरी खुशी
बेहिसाब हो जाती थी
मेरे हारने का सबब
क्या है ? कौन है ?
ये बात मेरे लिए
कोई मायने नहीं रखती !!!
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012
बसंत हैरान है ....
बसंत पंचमी की शुभकामनाओं के बीच
मॉं सरस्वती का पूजन भी हुआ
बसंत का शुभ आगमन हो
वंदन गीत भी गाए
पर फिर भी बसंत हैरान है
जाने क्यूँ
उसकी बेचैनी कम नहीं हो रही
सोच रहा है निरन्तर
अपनी बयार ले किधर से निकलूं
इन बड़ी-बड़ी ईमारतों के बीच
तनिक भी गुंजाइश नहीं
मेरे समाने की ...
इनसे टकराकर जब भी निकलता हूँ
जख्मी हो जाता हूँ
मैं लहूलुहान हो तलाशता हूँ
हरे-भरे पेड़ नहीं दिखते आम के
जिनपर होते थे इन दिनों बौर
मैं सुनता था जिनपर झूम के
कोयल की कूहू-कुहू
खेतों में पीली सरसो की
बिछी होती थी चादर सी
ढूंढ रही हैं उसकी खामोशी
बगीचों में उन रंगीन फूलों को
तलाश है उसे उन बगीचों की जहां
तितलियां अपने सजीले पंख लिए
इतराया करती थीं भंवरे गुनगुन की धुन से
फूलों पर मंडराया करते थे ...
उन तितलियों के संग होती थी
कोई मासूम हंसी
तितलियों को पकड़ने की ललक
व्यथित बसंत आज भी
उसी उमंग से छा जाना चाहता है
गगन में पतंग के संग
जहां मजबूत मांझे के साथ
'वो काटा' का जूनून
दोस्ती के हाथों में डोर भरी
चरखी को थमाकर होता था
वह मधुबन की खुश्बू के साथ
बसंती चोले के बीच
खुशियों के झूलों में झूल कोई गीत बन
लबों पे गूंजना चाहता है कहीं तो
कहीं कानों में धीमे से गुनगुना के कहता है
मैं आना चाहता हूं ... अपनी बयार से
तुम सबका जीवन सजाना चाहता हूँ
मेरे रास्ते यूँ बन्द न करो ....!!!
बुधवार, 1 फ़रवरी 2012
ज़ाने क्यूँ ....????
मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,
तुम्हारे आस-पास से
उन ख्यालों को खड़ा कर दूंगी
तपती धूप में
सूख जाएंगे वे इस कदर
कि उन्हें जब चाहे
तोड़ा जा सकेगा
आसानी से तिनके की तरह
उंगलियों के बीच पोरों में दबाकर
बिल्कुल सही समझा तुमने
वही पोर जिनसे हम
कभी ऐसे पलों में पोछ लेते हैं
आंसुओं को ....
सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
जाने क्यूँ सब से
ज्यादा हो जाती थी
जब कोई तुझसे ये शिकायत करता था
तुझे मुझसे बहुत प्यार है
मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
कभी तो शायद
उसका ये भरम टूट जाता ...
यादों में निशानियाँ रखना है
तो सीख ले
ये हुनर दिल से
करीने से सजी यादों के
बीच खुद तन्हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
किसी मूक दर्शक की तरह
जैसे कोई
चलचित्र हो रज़तपट पर वो जिन्दगी का ...
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