शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

मन की बातें ...!!!













मेरे सवालों के दायरे में
जब वो होती है तो
उसका मन भी मेरी बातों  में
उलझने लगता है
वह मुझे बहलाकर झट से
बाहर हो जाती है
मुझे पता है उसका दिल  भी
मेरी तरह मासूम है
मां है वह तो क्‍या हुआ
कल वो बहू थी किसी के घर  की
उससे पहले बेटी थी किसी के आंगन की
जहां जन्‍म लिया था उसने
पर सदा ही पराये घर जाने की  बातें
सुन-सुनकर बड़ी हुई
दिल तो ताउम्र
एक बच्‍चा रहता है
एक यही है
जो हमेशा सच्‍चा रहता है
हां बढ़ती उम्र के साथ
उसे डालना पड़ता है
चेहरे पर गंभीरता का आवरण
लोग क्‍या कहेंगे
इसी सोच के साथ मन के
हर बेतक्‍कलुफ होते ख्‍याल को
झटकना होता है परे
हंसने मुस्‍कराने से पहले
दिल ही दिल उसकी सहमति से
आम होना पड़ता है
खास बनने के लिए
सोचती हूं कई बार
हम क्‍यूं लोगों के लिए
कभी-कभी न चाहते हुए भी
अपने मन की नहीं कर पाते
बस इसी सोच में उलझ जाते हैं
कि लोग क्‍या कहेंगे ...
कभी बच्‍चों के बड़े होने की दुहाई तो
कभी परिवार वालों की सोच ने
मन की मन में ही रहने दी
सोचती हूं आज
मेरी ये बातें किसी को
गलत तो लगेंगी
पर शायद उन्‍हें सही लगें
जिनके मन की मन में रह गई
बस उन्‍हीं के लिए हैं
ये मन की बातें ...!!!

39 टिप्‍पणियां:

  1. सोचती हूं आज
    मेरी ये बातें किसी को
    गलत तो लगेंगी
    पर शायद उन्‍हें सही लगें
    जिनके मन की मन में रह गई
    बस उन्‍हीं के लिए हैं
    ये मन की बातें ...!!!
    Ekdam sahee kaha!

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  2. सोचती हूं कई बार
    हम क्‍यूं लोगों के लिए
    कभी-कभी न चाहते हुए भी
    अपने मन की नहीं कर पाते
    कविता का भाव बहुत सशक्त है
    सुंदर एहसास के साथ एक प्यारी सी कविता..आपकी कविता प्रशंसनीय है

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  3. पर शायद उन्‍हें सही लगें
    जिनके मन की मन में रह गई
    ...हर एक लफ्ज सन्देश से भरा है प्रेरणादायक प्रस्तुति के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. सोचती हूं कई बार
    हम क्‍यूं लोगों के लिए
    कभी-कभी न चाहते हुए भी
    अपने मन की नहीं कर पाते
    बस इसी सोच में उलझ जाते हैं
    कि लोग क्‍या कहेंगे ...

    यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं।

    सादर

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  5. सदाजी आपने हर स्त्री के मन की बात कह दी, हर स्त्री के अहसास को वाणी दे दी वो भी बहुत ही खूबसूरती से!
    बहुत ्ही भावपूर्ण और सुंदर रचना। बधाई!

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  6. गंभीर कविता... दिवाली, भइयादूज की शुभकामनाएँ!

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  7. लोग क्या कहेंगे ..इसमें ही मन की नहीं कर पाते .. सच्चाई को कहती अच्छी रचना

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  8. प्रामाणिक अनुभूतियों से भरी रचना. 'लोग क्या कहेंगे' का कुचलने वाला अहसास. बढ़िया रचना.

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  9. सोचती हूं कई बार
    हम क्‍यूं लोगों के लिए
    कभी-कभी न चाहते हुए भी
    अपने मन की नहीं कर पाते
    बस इसी सोच में उलझ जाते हैं
    कि लोग क्‍या कहेंगे .. इन लफ़्ज़ो ने क्या से क्या कर दी ज़िन्दगी……………सच बयाँ कर दिया।

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  10. सुंदर एहसासों के साथ लिखी सरल सच्ची प्यारी- प्यारी सी कविता...

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  11. Wah!!! ये मन की बातें ...!!!


    www.poeticprakash.com

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  12. sada ji kuch to log kahainge logon ka kaam hai kahana ... magar unke liye ham jina chod den yh kon si baat hui meri maaniye to is formule par chaliye "MAST RAHO MASTI MAIN AAG LAGE BASTI MAIN".... :-)kyun yh log aise hee hote hain jitne muh utni baaten esliye bas wo kijiye jismen aapko khushi mile aur or ko bhi taklif na ho aisaa to ho nahi sakta magar haan kam ho etna to ho hee sakta hai....

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  13. अंत:मन से निकले विचारों की सुंदर प्रस्तुती.मुझे अच्छी लगी..बधाई

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  14. आपकी पोस्ट की हलचल आज (29/10/2011को) यहाँ भी है

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  15. मन के भावों का प्रवाह हमे भी बहाये ले गया। सुन्दर रचना।

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  16. man ki baten man se hi kah pate hai...kashmakash ko sundar shabdon me piroya hai aapne.

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  17. दिल तो ताउम्र
    एक बच्‍चा रहता है
    एक यही है
    जो हमेशा सच्‍चा रहता है

    बहुत सुन्दर|

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  18. सबके मन की बात .सीधी सच्ची बात ,अच्छी लगी ये बात .बधाई सुन्दर प्रस्तुति के लिए .

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  19. बहुत अच्छा लगा|
    सार्थक रचना|

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  20. मन से उपजी मन तक पहुँची.
    फिर मन से अँखियन तक पहुँची.

    बहुत ही कोमल रचना.

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  21. सदा जी नमस्कार, सुन्दर भाव मन मे ही रह जाती है मन की बातें सच कहा आपने मेरे भी ब्लाग पर आपका सादर स्वागत है।

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  22. बहुत सुन्दर... और सत्य ..कि हमें कई बार सिर्फ परिवार कुटुंब के लिए अपनी बात मन में रखनी पढ़ती है ... बहुत दुन्द्र्ता से आपने उन अहसासों को जुबान दी कविता के माध्यम से ..वाह

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  23. अन्तर्मन का सच खरा सच होता है .......सुंदर रचना !

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....