सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

संभावनाओं के द्वार ....!!!
















संभावनाओं के द्वार
तुम खटखटाओ
तो सही
मुश्किलें बहुत हैं
दूर है मंजिल ....मगर कितनी ?
तुम पाने को उन्हें
हांथ अपना ब़ढ़ाओ तो सही
हार क्यूं मानना
जो विजयी हुए हैं
उनकी पराजय को तुमने कभी
नंगी आंखों से देखा नहीं
जब भी देखा बस यही सोच रखकर
वह कितना वैभवशाली है
कितना सम्पन् है
कितना सुख !! ... आह यह ईर्ष्या क्यूं ??
पूछते जो जानते कितनी रातों का जगा है वो
कितने दिनों की भूख ने उसे आज
इस जीत का सम्मान दिया है...
सच तो यही है ...
जिसे हर कोई नहीं जानता
सच का सामना करना पड़ता है
अदम् साहस से
उसी तरह तुम
पराजय का सामना करो
विजय तुम्हारी होगी
बस शंखनाद करना होगा
अपने मन के उन विचारों को
रौंदना होगा अपने कदमों के तले
मन की इन्द्रियों को थामना होगा
अपनी उन्हीं हथेलियो से
जिसकी तर्जनी से
पोछते आए हो आंसू अपने तुम
ये अबोध मुस्कान कैसी
तुम्हारे लबों पर
मेरी बातें तुम्हें दुश्कर लग रही हैं शायद
नादान हो तुम ...
दुश्कर क्या होता है ?
मन के हारे हार है मन के जीते जीत
सुना होगा तुमने भी
आओ उठो .. आगे बढ़ो ... वक् बढ़ रहा है
अपनी द्रुत गति से
तुम्हें इसके हर पल को पकड़ना है
पहचान करनी है इन पलों से
तभी तुम लिख पाओगे
एक नई इबारत
जिसे पढ़ने के लिए
तुम्हारे अपने भी होंगे कतार में
बस हौसला रखना
दुनिया तुम्हारे कदमों में होगी
विजय की पताका
तुम्हारे हांथों में ....!!!

32 टिप्‍पणियां:

  1. बस हौसला रखना
    दुनिया तुम्‍हारे कदमों में होगी
    विजय की पताका
    तुम्‍हारे हांथों में ....!!!
    Mushkil hai bahut aasaan nahee,phir bhee doosara paryaay nahee!

    जवाब देंहटाएं
  2. पराजय का सामना करो.. विजय तुम्हारी होगी ... सच ही संभावनाओं के द्वार खोलती अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. ऐसे ही जज्‍बे से इतिहास बना करता है।

    शुभकामनाएं...
    बेहतरीन शब्‍द संयोजन।

    जवाब देंहटाएं
  4. मन के हारे हार है मन के जीते जीत
    सुना होगा तुमने भी
    आओ उठो .. आगे बढ़ो ... वक्‍त बढ़ रहा है
    अपनी द्रुत गति से
    तुम्‍हें इसके हर पल को पकड़ना है
    ...सीधे ह्रदय की बात कह दी आपने कविता के भाव मन को छूते हैं।

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  5. विजय की पताका
    तुम्‍हारे हांथों में ....!!!
    गहरी बात लिए पंक्तियाँ..... बहुत सुंदर

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  6. बहुत सुन्दर आह्वान करती संदेशपरक कविता जीवन जीना सिखाती है।

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  7. तुम्हारी कोई कोई अभिव्यक्ति मन के अंध तमस में जुगनू सी चमक जाती है

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  8. सुन्दर प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  9. प्रेरक भावों ने संभावनाओं के द्वार खोल दिए!

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  10. संभावनों के द्वार खोलती अति प्रेरक रचना ...शुभकामनायें !!

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  11. सच तो यही है
    पराजय का सामना करो
    विजय तुम्‍हारी होगी
    बस शंखनाद करना होगा

    बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं।

    सादर

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  12. प्रेरक रचना ... !
    हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह...बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  14. प्रेरक रचना . सुन्दर प्रस्तुति |हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  15. सशक्त व प्रभावी .. आपको बधाई सुन्दर रचना के लिए..

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  16. प्रेरक सुन्दर रचना ..
    आशा जगाती हुई

    जवाब देंहटाएं
  17. तभी तुम लिख पाओगे
    एक नई इबारत
    जिसे पढ़ने के लिए
    तुम्‍हारे अपने भी होंगे कतार में
    आशा जगाती हुई सुन्दर रचना ..

    जवाब देंहटाएं
  18. संभावनाओं के द्वार खटखटाते रहना होगा।

    जवाब देंहटाएं
  19. पराजय का सामना करो
    विजय तुम्‍हारी होगी
    बस शंखनाद करना होगा
    अपने मन के उन विचारों को
    रौंदना होगा अपने कदमों के तले
    मन की इन्द्रियों को थामना होगा
    अपनी उन्‍हीं हथेलियो से
    जिसकी तर्जनी से
    पोछते आए हो आंसू अपने तुम

    बहुत ही शानदार रचना...........एक उम्मीद और और एक उत्साह जगती पोस्ट..........हैट्स ऑफ |

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  20. मन की इन्द्रियों को थामना होगा
    अपनी उन्‍हीं हथेलियों से
    जिसकी तर्जनी से
    पोछते आए हो आंसू अपने तुम

    मन में उत्साह का संचरण करती बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है.

    जवाब देंहटाएं
  21. अदम्‍य साहस से
    उसी तरह तुम
    पराजय का सामना करो
    विजय तुम्‍हारी होगी ...

    प्रेरणा देते हैं ऐसे शब्द ... जिसने हारना सीख लिया जीत उसी की होई है ...

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  22. बहुत अच्छा संदेश देती संदेशात्मक पोस्ट ....बहुत सुंदर प्रस्तुति सदा जी,....

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  23. पराजय की कोख से ही जन्मती है विजय

    बहुत सही, सटीक और तार्किक

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  24. sach safal logon ki hame bas uplabdhiyan dikhti hain unke sangharsh nahi...sundar bhav vyakt karti rachna jo hamme ek utsah jagati hai...

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  25. उत्‍साह का संचार करती ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  26. बस हौसला रखना दुनिया तुम्हारे कदमो में होगी,
    बढ़िया पोस्ट,मुझे अच्छी.बधाई ,,,,

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  27. बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....