यादों की गलियों में लम्हा - लम्हा मेरा
जाता है बस आपकी आशीषों तक पापा ।
मैं बड़ी होकर भी तो नहीं बड़ी हुई कभी,
आपकी नजरों में रही हूं छोटी सदा पापा ।
मां की डांट से बचाते चुपके से समझाते,
मेरे लिये हंस के बहलाते मां को जब पापा ।
बचपन के दिन वो बचपन की बातें बताओ,
हम चाहकर भी क्यूं नहीं भुला पाते पापा ।
मैं भूली हूं न भूलूंगी कभी जिन्दगी मेरी तो,
आपके स्नेह की उंगली थाम के चली है पापा ।
मुस्कराहट आपकी निशानियां वो गुडियों की,
आज भी कैद हैं वो मेरी छोटी संदूक में पापा ।
मन मचल जाता है किसी बच्चे की तरह अब भी,
दहलीज़ पे जब कभी आकर बेटा कहते हो पापा ।
लिखी है हर याद आपके नाम बच्चों सी वो बातें,
जानती हूं पढ़कर होंगे आज भी मुस्कराते पापा ।
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसच है जब तक माँ बाप है हम बच्चे ही रहेंगे
पापा को बहुत प्यारी भेंट दी है ..कोमल एहसास से बुनी सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं में रची-बसी सुन्दर रचना|
जवाब देंहटाएंलाजवाब...प्रशंशा के लिए उपयुक्त कद्दावर शब्द कहीं से मिल गए तो दुबारा आता हूँ...अभी
जवाब देंहटाएंमेरी डिक्शनरी के सारे शब्द तो बौने लग रहे हैं...
बहुत उम्दा....बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंआपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......कल ज़रा गौर फरमाइए
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंकुछ चुने हुए खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
मां की डांट से बचाते चुपके से समझाते,
जवाब देंहटाएंमेरे लिये हंस के बहलाते मां को जब पापा ।
ye to shayad sab bachchon ke samne hota hai.sundar prastuti.
man ke komal bhavo se ujaagar hui ye kavita
जवाब देंहटाएंnatmastak hone ka dil chahta hai........behad khub surat abhivyakti....aabhar
कोमल भावों की सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाएँ ..
जवाब देंहटाएंमैं भूली हूं न भूलूंगी कभी जिन्दगी मेरी तो,
जवाब देंहटाएंआपके स्नेह की उंगली थाम के चली है पापा
उम्दा प्रस्तुति सदा जी ।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना. बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ.....
जवाब देंहटाएंसुंदर भावनायें,सुंदर कविता,
जवाब देंहटाएंआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
यादों कि गलियों में लम्हा लम्हा.....
जवाब देंहटाएंमीठी मीठी यादों में लिपटी सुंदर कबिता.
पापा की याद समेटे सुंदर एह्सास
जवाब देंहटाएंफादर्ज़ डे पर पापा को दिया गया नायाब तोहफ़ा. बेटियाँ ही ऐसे तोहफ़े तैयार रखती हैं. बहुत सुंदर कविता है.
जवाब देंहटाएंभावुक कर गयी आपकी ये रचना ... पिता के लिए बच्चे हमेशा बच्चे ही रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंpitr diwas ke mauqe par bahut hi bhaopoorn rachna..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत एहसास ......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने
जवाब देंहटाएं----------------------------------
कल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंकोमल एहसास से बुनी सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंbahut sache aur masuum ehsaaso ko piro dala hai.
जवाब देंहटाएंपिता को समर्पित बहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंसुन्दर, भावपूर्ण, ह्रदयस्पर्शी रचना....
जवाब देंहटाएंपिता का प्यार ....आकाश का विस्तार
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मैं जन्नतों कि गली रस्ते चूम लेता हूँ,
जवाब देंहटाएंशराब प्यार कि पीकर के झूम लेता हूँ,
मैं अपने माता-पिता कि लगा के एक चक्कर
तमाम विश्व को पल भर में घूम लेता हूँ.