सोमवार, 13 जून 2011
दुआ ....
मैने दुआ के वास्ते जब भी अपने हांथ उठाये हैं,
मेरी बंद पलकों में तेरे ही साये उतर आये हैं ।
मेरी फितरत में नहीं खुद की खुशी मांगना,
मैने गैरों के गम में अपने अश्क बहाये हैं ।
मेरे हंसने पे ऐतराज़ वो करते रहे जाने क्यूं,
जिनकी ख़ातिर मैने सदा हर ज़ख्म खाये हैं ।
रिश्तों की उम्र लम्बी होती है किसने कहा,
जाने कितने जीवनदान हर रिश्ते ने पाये हैं ।
दरो-दिवार में सिमटती रही जिन्दगी जिनकी,
उनसे पूछा शहर का हाल तो बस मुस्कराये हैं ।
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
आदरणीय सदा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
वाह ……………बहुत सुन्दर भाव भरे
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
मैंने दुआ के वास्ते जब भी हाथ उठाये
जवाब देंहटाएंमरी बंद पलकों में तेरे ही साये उतर आये
.............उम्मीद से परिपूर्ण इस रचना के लिए बधाई।
रिश्तो में खुद को बाँध के जीना ...ये नारी मन की भावनाएं बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबन पड़ी है आपकी लेखनी में ...दर्द का भी समावेश साफ़ झलकता है ...बहुत खूब
--
anu
'रिश्तों की उम्र लंबी होती है किसने कहा
जवाब देंहटाएंजाने कितने जीवनदान हर रिश्ते ने पाए हैं.'
बहुत सच्ची बात है.
क्या खूब कहा है सच्चाई उकेर दी है रिश्तो की।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना यहां भ्रमण पर है आप भी घूमते हुए आइये स्वागत है
http://tetalaa.blogspot.com/
हर शेर बहुत खूबसूरत ..बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंरिश्तों की उम्र लम्बी होती है किसने कहा,
जवाब देंहटाएंजाने कितने जीवनदान हर रिश्ते ने पाये हैं ।
bahut sahi kaha sada ji,har sher bahut khoob.
rishte duaaon pe hi jite hain
जवाब देंहटाएंरिश्तों के लिये दुआएं भी ज़रूरी हैं.
जवाब देंहटाएं----------------------------------------------
आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
नयी-पुरानी हलचल
धन्यवाद!
गैरों के वास्ते दुआ माँगना हर किसी की बस में नही होता ... लाजवाब शेर लिखे हैं ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच
बेहद भावपूर्ण शेर कहे है आपने बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना, सच को व्यक्त करती।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शेर ..... प्रभावित करती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा शेर, वाह
जवाब देंहटाएंआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जाने कितने ही रिश्तों ने जीवनदान पाये हैं.... बहुत ही गहन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना हर पंम्क्ति दिल को छूती है। बधाई।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से निकली बहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई.
दुआ पर लिखी गई यह ग़ज़ल सुन्दर बन पड़ी है. मन गदगद हो गया है. बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .......
जवाब देंहटाएंtouching and thoughtful poem
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंसदा जी आपका शुक्रिया हमारे ब्लॉग खलील जिब्रान तक आने का .....आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ......पहली ही पोस्ट बहुत पसंद आई शानदार ग़ज़ल उर्दू की मीठास समेटे हुए......आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ .....ताकि आगे भी साथ बना रहे......आपसे गुज़ारिश है अगर वक़्त मिले तो हमारे अन्य ब्लॉग पर भी नज़र डालिए और अगर कोई पसंद आये तो फॉलो करके हौसला बढ़ाएं |
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat sher har sher lajbab, vaah vah ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
bahut sundar likha hai........
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