(1)
इक अश्क की बूंद,
फिसलकर
तेरे गालों पे जब बही थी
बहते-बहते
जाने कब वो जाकर
समन्दर में मिल गई थी ।
(2)
रूसवाईयों को छोड़कर
जब भी
वो गया था
घर की दहलीज
बड़ी देर सिसकती रही ।
(3)
जब भी कुछ टूटता है,
वह बिखर ही
क्यों जाता है
चाहे वह कांच का
कोई पात्र हो
या मिट्टी का खिलौना ...!!
अच्छी क्षणिकाएं हैं. बधाई!
जवाब देंहटाएंसारी क्षणिकाएॅ सुंदर है पर दुसरा वाला बेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंवाह...बेजोड़ रचना....बधाई स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंनीरज
bikhra lagta hai, wahi simatta bhi hai...phir se piroye jane ke liye
जवाब देंहटाएंबेमिसाल क्षणिकाएं..... सदा जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय सदा जी..
जवाब देंहटाएंनमस्कार
सारी क्षणिकाए बेहतरीन है।
Teeno rachanayen nihayat achhee hain...khaas kar doosaree ne to ni:shabd kar diya!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन! क्षणिकाएं.
जवाब देंहटाएंसादर
सभी क्षणिकायें बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंजब भी लौटी हैं तेरी आहटें मेरी दहलीज़ से
जवाब देंहटाएंमेरी उम्मीदों की खिड़कियाँ बहुत देर तक रोती रहीं ......
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
तीनों क्षणिकाएं संक्षिप्त मगर सारगर्भित बिलकुल वैसे ही जैसे गागर .
जवाब देंहटाएंतीनो रचनाएँ अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंखासकर दूसरी तो लाजवाब.
सलाम
टूटने वाला बिखरता है। सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएँ बहुत शानदार हैं!
अच्छी हैं।
जवाब देंहटाएंएक ही भाव के तीन बेहतरीन रंग, असर कर गए।
जवाब देंहटाएंसुन्दर क्षणिंकायें
जवाब देंहटाएंजब भी कुछ टूटता है
जवाब देंहटाएंवह बिखर ही
क्यों जाता है ....'
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ...तीनों रचनाएँ लाजवाब
बहुत ही कोमल और भावपूर्ण क्षणिकायें ! मन को गहराई तक आंदोलित कर गयीं ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंbikhrne se pata chalta hai ki toot gaya hai kuchh ! bahut achche achche bhav teeno rachnaon main !! bahut sunder!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया भावनाओं के लिए शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंघर की दहलीज़ सिसकती रही ....बरबस एक ही शब्द निकला ...ओह ...बहुत खूबसूरत ..
जवाब देंहटाएंसदा जी बहुत सुंदर कविता आपने लिखी है बधाई |
जवाब देंहटाएंउदासी से भरी भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंBadi hi scientific lines hai.. jab koi tootta hai, to bikharta bhi hai...
जवाब देंहटाएंsunder kavita !
जवाब देंहटाएंmaan ko choo gayee !
Badhayee !
Ruswaiyo ko chodker jab bhi wo gaya ,
जवाब देंहटाएंgher ki dehleej badi der.............
kya khub ukera hai aaapne dil ke jajbaton ko badhai...........
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति| तीनों रचनाएँ लाजवाब|
जवाब देंहटाएंएक नहीं तीनों रचनाएँ, सुंदर अभिव्यक्ति बधाई तो कम है..
जवाब देंहटाएंहकीक़त न पूछ मेरे फ़साने की ,
जवाब देंहटाएंतेरे जाते ही बदल गए नज़रें ज़माने की ,
लोग कहते हैं की खुश हूँ में ,
लेकिन मेरी तो आदत है गम में मुस्कुराने की |
बहुत खुबसूरत |
बेहतरीन क्षणिकाये . पढ़कर मन आल्हादित हुआ .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनायें
जवाब देंहटाएंतीनों कविताएं बहुत सुन्दर.....एक-एक शब्द भावपूर्ण ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं !
टूट के बिखरना मुझको ज़रूर आता है....
जवाब देंहटाएंये कैसा प्रश्न है?
आशीष
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लम्हा!!!
सारी क्षणिकाएं उम्दा है, अंतिम वाली बहुत पसंद आई |
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