कभी भी,
परखना नहीं आया
मुझे प्रीत को,
करके प्रीत निभाने में
यकीं किया है
सदा मैने ...।
मेरे दिल के
हर हिस्से में तुम्हारी
यादों की तस्वीरें
करीने से सजी थीं,
जब भी वे
तेरे दिल के
एक कोने में पड़ी याद को
दस्तक देती
तो तुम्हारा दिल
हाई सोसायटी के
लोगों की तरह
चारों तरफ देखता
और कहता
नहीं सब देख रहे हैं,
मैं मीटिंग में
व्यस्त हूं खाली होकर
मिलता हूं
तुम्हारे देर रात,
खाली हुए दिल में
सिर्फ व्हिस्की से भीगे
लफ्ज होते थे,
मेरी अश्कों से
भीगी यादें
उनके करीब जाने से
पहले दम तोड़ देती थीं ...।
Kaheen ye mere jeevan ke bareme to nahee likh diya tumne? Yahee to ek samvedansheel dilkee "universality" hai!Sabhee ko usme apna aks nazar aata hai!
जवाब देंहटाएंवाह ! सदा जी,
जवाब देंहटाएंइस कविता का तो जवाब नहीं !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
लड़कियां प्यार करके एक दुनिया अपने हाथों से बना लेती हैं
जवाब देंहटाएंसपनों की दुनिया - जहाँ पतझड़ आता नहीं बसंत जाता नहीं
और बसंत बस लड़कियों में होता है
दिल के कोमल भावो को बडी खुबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
शुभकामनाये
ओह! क्या कहूँ …………निशब्द कर दिया……………गज़ब की अभिव्यक्ति है……………बेहतरीन्।
जवाब देंहटाएंकमाल कर दिया सदा जी --'मेरे दिल के हर हिस्से में तुम्हारी यादो की तस्वीर करीने से सजी हे ' वाह ! बेहद खूब सुरत कलाम ! बधाई --
जवाब देंहटाएंहृदय छू लेती कविता।
जवाब देंहटाएंसदा जी बहुत ही संवेदनशील रचना ..........
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक रचना है आज की!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक व सार्थक लेखन और नपे तुले शब्दों के साथ!
बहुत ही सुन्दर भावमयी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसलाम
sundar abhivyakti marmik , achhi lagi , badhai
जवाब देंहटाएंप्रीत करके ही परखी जाती है,बिना किए हम कैसे परख सकते हैं।
जवाब देंहटाएं*
अच्छी कविता है।
*
कविता में तेरे और तुम्हारे दोनों का प्रयोग हुआ है। किसी एक का प्रयोग करें तो कविता और बेहतर होगी।
संवेदनशील.....हृदयस्पर्शी.....
जवाब देंहटाएंpriya shreshthh,
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavya .kathya ki gahrayiyan ,shabdon ke madhyam ,anupurak ho chale hain .
dhanyavad.
मार्मिक तथा संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंbehat khubsurat kavita
जवाब देंहटाएंsabd nhi hai kahne ko
mere pas
...
dard ko jaise shabd mil gaye ho...
जवाब देंहटाएंजब प्रीत निभाने में यक़ीन किया है तो दर्द कैसा ! प्रेम के पहले उसे परखना भी संभव नहीं।
जवाब देंहटाएंमनोभावों की बहुत अच्छी अभिव्यक्ति । बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।
bahut hi sundar rachna sadaji.........
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat bhav.
जवाब देंहटाएंachi lagi rachna aati rahungi.........
bahut hi marmik,bhavpoorn abhivyakti...
जवाब देंहटाएंlagta hai peer bol rahi hai..
दिल को छू लेने वाली अभिब्यक्ति| धन्यवाद्|
जवाब देंहटाएंकहीं अन्दर तक दिल को छू गयी ये अभिव्यक्ति। आभार।
जवाब देंहटाएंdil ke bhaavon ko sahaj hi likh diya hai aapne ... par ye baaten kuch logon ko samajh nahi aati ...
जवाब देंहटाएंज़िंदगी की भाग-दौड़ तथा व्यावसायिक प्रगति के लिए अथक प्रयासों में प्यार बेगाना होते जा रहा है। आधुनिक जीवनशैली को दर्शाती एक सुंदर एवं सामयिक रचना।
जवाब देंहटाएंदर्द भरे एहसास ब्यान करती एक खुबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंभावुक कर देने वाली बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंsach sacha pyar parkha nahi jaata!
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavpurn prastuti..
यथार्थ की विलक्षण सत्यनिष्ठ अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइतनी भीगी सी रचना कैसे रह गयी पढने से ? आज यशवंत जी की वजह से पढ़ने का मौका मिला ... अंतिम पंक्तियों के बाद कुछ नहीं रहता कि मैं कुछ लिख सकूँ इस रचना पर... दिल से महसूस कर रही हूँ :)
जवाब देंहटाएंhigh society ke dil ka chitran bahut hi spashtTa se kiya hai. bahut prabhaavshali rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत....
जवाब देंहटाएंशायद पहले कभी आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी...पता नहीं कैसे...