मैं का संसार
अनोखा होता है
कभी विस्तृत तो
कभी शून्य
मैं गुरू जीवन का
इसका ज्ञान इसका मंत्र
मैं का ही रूप
जिसके भाव अनेक
मैं परम साधक
तप की साधना में
मैं हिमालय पे नहीं जाता
ना ही रमाता है धूनी
ना ही जगाता है
सुप्त भावनाओं को
अलख निरंजन बोल के !
....
मैं तो बस
चलता है साथ मैं के
मंजिल पर पहुँच जाने तक
मुश्किलों में साथ
निभाने के लिए
निराशा के क्षणों में
उम्मीद की एक किरण
हो जाने के लिए !!
...
मैं होता है
रिश्तों का सूत्रधार
जुड़ता कड़ी दर कड़ी
हम हो जाने के लिए
जीवन के अर्थों को देखता है
कर्तव्य की हथेलियों में
जितनी बार कोई
उँगली उसकी मुट्ठी में
क़ैद होती !!!
...
हम से पहले 'मैं' ही तो होता है।
जवाब देंहटाएंसच है ....बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसचमुच अनोखा होता है मैं का ससार.....,सुंदर अभिव्यक्ति...सदा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-10-2014) को "देश जश्न में डूबा हुआ" (चर्चा मंच-1779) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मैं के रूप अनेक...सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुंदर ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर निदर्शन !
जवाब देंहटाएंमैं, मैं से मिलकर हम हो जाता है
जवाब देंहटाएंहम के अंदर ही मैं का अस्तित्व है
सार्थक रचना !
साभार !
सच है मैं के अस्तित्व को भुलाया नहीं जा सकता पर मैं अगर हद से ज्यादा हो जाए तो विनाश की और भी ले जाता है ...
जवाब देंहटाएंमैं के भाव को बाखूबी लिखा है आपने ...
वाह सदाजी ...रिश्तों को खूब पहचाना और परिभाषित किया
जवाब देंहटाएंसुन्दर एहसासों को संजोये आपकी यह रचना अच्छी लगी......बधाई:)
Aapka jawaab nhi mujhe behad acchi lagi aapki rachna...lajawaab :)
जवाब देंहटाएंमैं होता है
जवाब देंहटाएंरिश्तों का सूत्रधार
जुड़ता कड़ी दर कड़ी
हम हो जाने के लिए
बहुत सुन्दर और गहन भाव
सुन्दर भावपूर्ण रचना.....आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@आंधियाँ भी चले और दिया भी जले
नयी पोस्ट@श्री रामदरश मिश्र जी की एक कविता/कंचनलता चतुर्वेदी
सुन्दर , सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंमैं का होना ही तो हम की सार्थकता है...बेहद सुन्दर और गहन भाव..
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
मैं का गहन चिन्तन है यह कविता । यह भी सच है कि मैं का हम बनना ही रिश्तों का सच्चा सूत्रधार होता है ।
जवाब देंहटाएंमैं होता है रिश्तों का सूत्रधार जुड़ता कड़ी दर कड़ी हम हो जाने के लिए जीवन के अर्थों को देखता है कर्तव्य की हथेलियों में जितनी बार कोई उँगली उसकी मुट्ठी में क़ैद होती !!!
जवाब देंहटाएं.............वाह !
गहन भावों को व्यक्त करती सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमैं हद में रहे तो ठीक रहता है सबके लिए
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
मैं एक रूप अनेक...बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंमैं रिश्तों का सूत्रधार ।सच ही तो है मैं है तो सारे रिश्ते हैं ।
जवाब देंहटाएं