बड़ी तीक्ष्ण होती है
स्मृतियों की
स्मरण शक्ति
समेटकर चलती हैं
पूरा लाव-लश्कर अपना
कहीं हिचकियों से
हिला देती हैं अन्तर्मन को
तो कहीं खोल देती हैं
दबे पाँव एहसासों की खिड़कियाँ
जहाँ से आकर
ठंडी हवा का झौंका
ठंडी हवा का झौंका
कभी भिगो जाता है मन को
तो कभी पलकों को
नम कर जाता है
...
कुछ रिश्तों को
कसौटियों पर
परखा नहीं जाता
इन्हें निभाया जाता है
बस दिल से
स्मृतियों को कभी
जगह नहीं देनी पड़ती
ये खुद-ब-खुद
अपनी जगह बना लेती हैं
एक बार जगह बन जाये तो
फिर रहती है अमिट
सदा के लिए
....
स्मृति में जो बस गया वो बार बार वहीँ से झांकता है!
जवाब देंहटाएंयादों के कदमों के निशाँ होते ही हैं इतने प्रखर और स्पष्ट कि मन पर अपने चिन्ह सदा के लिये छोड़ जाते हैं ! बहुत ही प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत , धन्यवाद !
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कुछ रिश्तों को
जवाब देंहटाएंकसौटियों पर
परखा नहीं जाता
इन्हें निभाया जाता है
बस दिल से..........
सदा आपकी कवितायें हमेशा अपना स्मृति चिन्ह छोड जाती हैं दिल पे....:)
सच ....हर रिश्ता परखा नहीं जाता . हर स्मृति जानबूझकर सहेजने का जतन नहीं करना पड़ता .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील रचना। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंवाह , और यह सच है।, मंगलकामनाएं आपको !!
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur sachhi bat
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्तों को
जवाब देंहटाएंकसौटियों पर
परखा नहीं जाता
इन्हें निभाया जाता है
बस दिल से------ रिश्तों का सच तो यही है वाकई कुछ रिश्ते सहेजकर ही रखे जाते हैं --
भावपूर्ण और सुंदर रचना --
सादर
अपनों की स्मृतियाँ कैसे जा सकती हैं , मंगलकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंरिश्तों को बस जिया जाता है... स्मृतियाँ तो खुद बा खुद बनती ही है, बस खूबसूरत हो रिश्ते. बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंरिश्ते तो होते ही हैं निभाने के लिए ... अपने से अलग कहाँ हो पाते हैं ...
जवाब देंहटाएंस्मृतियों की स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती हैं । रिश्ते निभाने पड़ते। हैं । यथार्थ को कहती सुन्दर रचना ।
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