शुक्रवार, 2 मई 2014

मन की स्‍लेट पर !!!!

कई बार
कुछ स्‍नेहिल थपकियां
मासूमियत का माथा चूमकर
आ बैठती तन्‍हां ही
लगाती हिसाब
मन की स्‍लेट पर
कुछ जोड़ती कुछ घटाती
कुछ लिखकर फिर मिटाती !
­­­­...
लम्‍हा-लम्‍हा सिमटते एहसास
कई बार बातूनी हो जाते हैं
जैसे कोई अबोध बालक
बिना सही- गलत को जाने
कह उठता है जब भी
अपने हिस्‍से का सच तो
मुस्‍कान दम तोड़ देती है
गला रूंध जाता है
एक मौन खामोशी से 
कितना कुछ कह जाता है  !!
...
खामोशियों के रास्‍ते अक्‍़सर 
गुज़रे वक्‍़त का हमसाया बन
ढेरों बाते करते हुये 
मुड़ते हैं जब किसी अंजाने मोड़ पर
तो बस इतना ही कहते हैं
वक्‍़त के साथ -साथ
चलते जाना ही जिंदगी का नाम है
बड़ा ही खूबसूरत जिंदगी का 
सबको ये पैगाम है !!!!!!

19 टिप्‍पणियां:

  1. वक्‍़त के साथ -साथ
    चलते जाना ही जिंदगी का नाम है

    सही कहा है..भावपूर्ण रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत जिंदगी का पैगाम है...

    जवाब देंहटाएं
  3. जिंदगी में मोड़ कई आएँगे
    रुकना नहीं, बस चलते जाना है
    यादें और अहसास तो संग संग चलती ही है
    बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 03/05/2014 को "मेरी गुड़िया" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1601 पर.

    जवाब देंहटाएं
  5. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अक्षय तृतीया और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर.... ज़िन्दगी के मायने भी हर रूप में अलग हैं ....

    जवाब देंहटाएं
  7. शुभ प्रभात दीदी
    वक्‍़त के साथ -साथ
    चलते जाना ही जिंदगी का नाम है
    बेहतरीन.....
    सादर....

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  8. चलते जाना ही जिंदगी का नाम है
    बड़ा ही खूबसूरत जिंदगी का
    सबको ये पैगाम है !!!!!!
    … सच चलना ही जिंदगी है !
    बढ़िया प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. तो बस इतना ही कहते हैं
    वक्‍़त के साथ -साथ
    चलते जाना ही जिंदगी का नाम है.............
    सच ...सच ...सच

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत लाजवाब ... चलते रहना ही जीवन है ...

    जवाब देंहटाएं
  11. कितनी सहजता से समझा दिया ज़िन्दगी का फलसफ़ा!! बहुत सुन्दर!!

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  12. आपका ये पैगाम सर आँखों पर..

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  13. बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मतदान कीजिए
    नयी पोस्ट@सुनो न संगेमरमर

    जवाब देंहटाएं
  14. वक्त के साथ-साथ बढ़ते जाना ही ज़िंदगी का नाम है ....बस यही तो ज़िंदगी का पैगाम है। सुंदर भाव लिए सार्थक रचना।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....