कुछ पाक़ीज़ा से रिश्ते
जिनकी सरपरस्ती के लिये
सर पे कफ़न बाँध के
ये कहते हुए
मुमकि़न हो के न हो
पूरा कर के लौटूंगी
तेरी ख्वा़हिश मेरे मौला !!!!
...
तबस्सुम की गली
मिला दर्द अंजाना सा तो
बढ़ा दी हथेलियाँ मैने
ओक़ में,
बस आँसू थे ज़ानां
कुछ नमक मिला था इनमें
सलीक़े का इस क़दर
बस लबों को खारापन दे गये
इस उम्मीद के साथ
जब भी इनका जि़क्र होगा
तेरा नाम न अाने देंगे
सिहर गई पी के जिंदगी इनको
और एक वादा किया
ये नमक तेरी वफ़ा का
ता-उम्र दिल में छिपा के रखेगी !!!!
बेहद सटीक अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
बस आँसू थे ज़ानां
कुछ नमक मिला था इनमें
सलीक़े का इस क़दर
बस लबों को खारापन दे गये
इस उम्मीद के साथ
जब भी इनका जि़क्र होगा
तेरा नाम न अाने देंगे
सिहर गई पी के जिंदगी इनको
और एक वादा किया
ये नमक तेरी वफ़ा का
ता-उम्र दिल में छिपा के रखेगी !!!!
गहन भाव ....सुंदर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंनिशब्द करती रचना.....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत पंक्तियां.... आमीन...!!!
खुबसूरत ,,अहसासों का वादा निबाहती रचना ,,,,,,
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
इसे कहते हैं नमक का हक़...सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंगहरे अहसास कोमल रचना...
जवाब देंहटाएंचश्मेबद्दूर !!!
जवाब देंहटाएंवाह!वाह!वाह!..कितना सुन्दर कहा है..
जवाब देंहटाएंये नमक तेरी वफ़ा का
जवाब देंहटाएंता-उम्र दिल में छिपा के रखेगी !!!!
वाह गज़ब !!!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार को (24-11-2013) बुझ ना जाए आशाओं की डिभरी ........चर्चामंच के 1440 अंक में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तबस्सुम की गली
जवाब देंहटाएंमिला दर्द अंजाना सा तो
बढ़ा दी हथेलियाँ मैने
ओक़ में,
बस आँसू थे ज़ानां
कुछ नमक मिला था इनमें
सलीक़े का इस क़दर
बस लबों को खारापन दे गये
इस उम्मीद के साथ
जब भी इनका जि़क्र होगा
तेरा नाम न अाने देंगे
सिहर गई पी के जिंदगी इनको
और एक वादा किया
ये नमक तेरी वफ़ा का
सुन्दर भावकनिका।
वाह सदा जी।
जवाब देंहटाएंदिल को जख्म देता है ये नमक ... पर फिर भी ये अंदर ही रहता है ... दिल के बहर नहीं आता ...
जवाब देंहटाएंये नमक तेरी वफ़ा का
जवाब देंहटाएंता-उम्र दिल में छिपा के रखेगी !!!!
...लाज़वाब....दिल को छूते बहुत कोमल अहसास...
आप की संवेदनाओं को महसूस करने की गहराई और उसी गहराई से निकले अलफ़ाज़ हमेशा दिलोदिमाग पर एक गहरी छाप छोड़ जाते हैं!!
जवाब देंहटाएंबहुत शिद्दत से लिखी गयी पंक्तियाँ...बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंकितनी गहरी बात कह दी आपने...वाह सदा जी।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पहली वाली तो शानदार |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पंक्तियां.......सदा जी।
जवाब देंहटाएंदुआ कोई भी ... सिर पर उसके कफ़न तो बँधा ही रहता है..
जवाब देंहटाएंदुआ मुक़म्मल हो आपकी....
~सादर
बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात......
सस्नेह
अनु
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंनमक बना रहे .... बहुत सुंदर ... पाकीज़ा सी रचना
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