पर भरोसा करना नहीं छोड़ता
जिस दिन वह भरोसा करना छोड़ देगा
यकीं मानो
उसे कोई प्रेम नहीं कहेगा !!!
....
टटोल कर देखो कभी रिश्तों में प्रेम
बिना ठहरे पल-पल का हिसाब
करती यादों के साथ
अपने सम्बंधों का
बाईस्कोप तैयार करता मिलेगा मन तुम्हें
जो वक़्त-बेवक़्त एक अदद तस्वीर
बड़ी ही तन्मयता से चिपका लेता था !
....
ना कोई आवाज लगाता
कि तुम पलटकर देखो ना ही तुमसे दूर जाता,
बसकर रह जाता रूह में सदा के लिए
खामोशियों में भी धड़कन का गति में रहना
दिखाता है प्रेम के रंग
कोई इन्द्रधनुष जब बनता है
सारे रंग मन के संगी हो जाते हैं !!
......
मन की मुंडेर पर जब भी
प्रेम आकर चहका है
हर बुरे विचार को
बड़े स्नेह से चुगता चला गया
इसकी चहचहाहट के स्वर
आत्मा में उतरते चले जब
भरोसे की एक थपकी
यकीन की पगडंडियों पर
मेरे साथ-साथ चलती रही !!!
मन की मुंडेर पर जब भी
जवाब देंहटाएंप्रेम आकर चहका है
हर बुरे विचार को
बड़े स्नेह से चुगता चला गया
सुंदर अभिव्यक्ति
सही कहा ऐतबार है तो प्यार है… बहुत सुन्दर सोच ...
जवाब देंहटाएंसही कह आपने भरोसे की नींव पर ही प्यार की ईमारत खड़ी होती है |
जवाब देंहटाएंगहरी बात ...सटीक रेखांकन किया
जवाब देंहटाएंप्रेम का दूसरा नाम भरोसा है .....जो एक-दूजे के बिना अधूरे हैं ......
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आदरणीया-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
यही भरोसा ही सदा, उचित प्रेम पर्याय |
प्रेम अन्यथा हैं कहाँ, गर भरोस उठ जाय ||
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (22-09-2013) के चर्चामंच - 1383 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंआत्मा में उतरते चले जब
जवाब देंहटाएंभरोसे की एक थपकी
यकीन की पगडंडियों पर
मेरे साथ-साथ चलती रही !!!
.............बहुत सुन्दर ... भाव और प्रवाह पूर्ण रचना
यकीं ,भरोषा यही तो प्रेम की पूंजी -बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
नई पोस्ट साधू या शैतान
बहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंप्रेम का आधार ही भरोसा है...
:-)
मन की मुंडेर पर जब भी
जवाब देंहटाएंप्रेम आकर चहका है
हर बुरे विचार को
बड़े स्नेह से चुगता चला गया,,,
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
प्रेम रहे तो सब सध जाये..
जवाब देंहटाएंप्रेममय भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- जख्मों का हिसाब (दर्द भरी हास्य कविता)
संबंधों के बायस्कोप से प्रेम के अलग अलग रूप दिखे... सकारात्मक सोच!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आदरणीय
जवाब देंहटाएंकिसी B.S.N.L के नंबर का बैलेंस जाने इस ट्रिक से
मन की मुंडेर पर जब भी
जवाब देंहटाएंप्रेम आकर चहका है
हर बुरे विचार को
बड़े स्नेह से चुगता चला गया
Bahut khoobsurat.
प्रेम के विभिन्न रूप ... पर प्रेम फिर भी प्रेम रहता है ... उसके बिना जीवन भी कहां रहता है ...
जवाब देंहटाएंप्रेम बिना जीवन भी कहां ...बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंभरोसा ही प्रेम का आधार है...
जवाब देंहटाएंप्रेम बिना जीवन नहीं और भरोसे बिना प्रेम नहीं ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना .. बधाई !!
अहा!अति सुन्दर ..मन को छू गई.
जवाब देंहटाएंवाकई प्रेम भरोसे का ही दूसरा नाम है... बहुत ही बढ़िया से अपने भाव पिरोये हैं कविता की माला में
जवाब देंहटाएंमन की मुंडेर पर प्रेम बुरी बातों को चुगता चला गया ..... अद्भुत सोच ... बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंमन की मुंडेर पर जब भी
जवाब देंहटाएंप्रेम आकर चहका है
हर बुरे विचार को
बड़े स्नेह से चुगता चला गया
बहुत ही बढ़िया
बहुत खूबसूरत रचना
यकीन में ही प्रेम संभव है !
जवाब देंहटाएंbehad khubsoorati say likha hai apne
जवाब देंहटाएंसही है। अंतिम पैरा की बुनावट बेहतरीन लगी।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
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