नियमों के विपरीत
चलकर कभी देखोगे तो
कुछ अलग ही दृश्य दिखाई देगा
कभी जड़ता का सिद्धांत
पढ़कर समझ पाओगे यह भी
कि जड़ होना इतना आसान भी नहीं
टिका रहता है समूचा अस्तित्व इस पर
...
अच्छी बातें, अच्छे विचार
पढ़कर कितना अच्छा लगता है,
पर अनुसरण कितने ही कर पाते हैं
इस अच्छाई पर ?
सच्चाई की राह पर चलने की सीख देना
भला मानव कहलाना कितना ही प्रिय लगता है
वह भला शख्स, और सच की टेक पर
हर कदम आगे बढ़ाता हुआ आदर्श व्यक्तित्व
जाने कितनी आंखों की किरकिरी होता है !
.....
जो श्रेष्ठ है वह तो सदा श्रेष्ठ ही रहेगा,
चलकर कभी देखोगे तो
कुछ अलग ही दृश्य दिखाई देगा
कभी जड़ता का सिद्धांत
पढ़कर समझ पाओगे यह भी
कि जड़ होना इतना आसान भी नहीं
टिका रहता है समूचा अस्तित्व इस पर
...
अच्छी बातें, अच्छे विचार
पढ़कर कितना अच्छा लगता है,
पर अनुसरण कितने ही कर पाते हैं
इस अच्छाई पर ?
सच्चाई की राह पर चलने की सीख देना
भला मानव कहलाना कितना ही प्रिय लगता है
वह भला शख्स, और सच की टेक पर
हर कदम आगे बढ़ाता हुआ आदर्श व्यक्तित्व
जाने कितनी आंखों की किरकिरी होता है !
.....
हेर-फेर तो हमारी सोच का होता है
झूठ कितने ही लिबास बदल ले
कितने ही नकाब लगा ले
पर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है
यही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!
सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है ....पर्दा तो पहचानने वाली अक्ल पे होता है ........
जवाब देंहटाएंसच कहा है सचाई बेनकाब होती है ... उसको रोकना झूठ के अंधेरे के बस में तो नहीं होता ...
जवाब देंहटाएंलंबी आयु दे
जवाब देंहटाएंलक्ष्मी- ब्रह्माणी कृपा
बरकत दे
ब्रह्माणी=सरस्वती
झूठ कितने ही लिबास बदल ले
जवाब देंहटाएंकितने ही नकाब लगा ले
पर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है
यही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!
बहुत बढ़िया....
सस्नेह
अनु
राह आसान न हो कठिन ही सही विजयी सच्चाई ही होती है …
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह अनुपम भाव से सजी सुन्दर रचना ...
अच्छी बातें, अच्छे विचार
जवाब देंहटाएंपढ़कर कितना अच्छा लगता है,
पर अनुसरण कितने ही कर पाते हैं
इस अच्छाई पर ?..............100% agreed
श्रेष्ठ होड़ में नहीं होता,तिकड़में नहीं लगाता - क्षुब्ध होकर भी,निराश होकर भी - श्रेष्ठ श्रेष्ठ है
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठता से
जवाब देंहटाएंकोई होड़ नही
और ...
श्रेष्ठता का
कोई जोड़ भी नहीं
जो है सो ही है
सादर
सत का अभाव नहीं और असत की सत्ता नहीं...परम सत्य !
जवाब देंहटाएंझूठ कितने ही लिबास बदल ले
जवाब देंहटाएंकितने ही नकाब लगा ले
पर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है
यही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!
झूठ के पैर नहीं होते वो हवा मे घूमता है और हर जगह मात खाता है ।
पर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है|
जवाब देंहटाएंलेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा
नई पोस्ट साधू या शैतान
!झूठ कितने ही लिबास बदल ले,सचाई बेनकाब होती है
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ .,,,
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें -
सच की खोज में कई बार विपरीत भी चलना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंकटु सत्य है....
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा..नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें -
जवाब देंहटाएंअहि बातें काही आपने |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-10-2013) "दोस्ती" (चर्चा मंचःअंक-1394) में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सही विश्लेषण किया है सदा जी आपने हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंजो श्रेष्ठ है वह तो सदा श्रेष्ठ ही रहेगा,
जवाब देंहटाएंहेर-फेर तो हमारी सोच का होता है
झूठ कितने ही लिबास बदल ले
कितने ही नकाब लगा ले
पर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है
यही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!
सदा जी सच्चाई को सामने लाइए झूठ को जैसे भी हो बे -नकाब करिए। सच्चाई का खुलासा एक बार फिर से कीजिये बढ़िया बेहद बढ़िया विचार कविता दी है आपने ब्लॉग जगत को। आभार।
झूठ के होते नहीं हैं पाँव -रखलो गांठ में ,
जवाब देंहटाएंसब मुखौटे एक दिन गिर जायेंगे।
भैंस का चारा कभी पचता नहीं।
सारगर्भित ....बहुत सुंदर .....तथ्य पूर्ण .....!!
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक विचार .....
जवाब देंहटाएंWigyan aur jiwan ka adbhut samanway
जवाब देंहटाएंमनुष्य के जड़ होने से अभिप्राय मृत्यु है। वृक्ष के जड़ पर संपूर्ण सृजन टिका हुआ है। जड़ता का सिद्धांत कुछ समझ में नहीं आया।
जवाब देंहटाएंजड़ता का अभिप्राय सिर्फ मृत्यु नहीं स्तब्द्धता भी है - निष्प्राण मनःस्थिति मृत नहीं होती,पृथक चलती साँसों से परिवर्तन की प्रतीक्षा में होती है
हटाएंसहमत..धन्यवाद।
हटाएंबहुत खूब ,
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ !!
अच्छी बातें, अच्छे विचार
जवाब देंहटाएंपढ़कर कितना अच्छा लगता है,
पर अनुसरण कितने ही कर पाते हैं
इस अच्छाई पर ?-----
रचना में जीवन दर्शन का अदभुत प्रयोग
नये कथ्य की नयी रचना
बहुत सुंदर
सादर
साँच को आंच कहाँ ? बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजो श्रेष्ठ है वह तो सदा श्रेष्ठ ही रहेगा,
जवाब देंहटाएंहेर-फेर तो हमारी सोच का होता है
झूठ कितने ही लिबास बदल ले
कितने ही नकाब लगा ले
पर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है
यही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!
बहुत गहरी बात..ये संभवतः आपके ब्लॉग पर ही पढ़ने मिल सकती है।।।
हाँ सच्चाई की उजास कायम रहती है सच्चाई न घटती है न बढ़ती है न रूप बदलती है ,नकाब झूठ ओढ़ता है।कम ज्यादा होता है। बढ़िया भाव सम्प्रेषण।
जवाब देंहटाएंपर सच्चाई हमेशा बेनकाब होती है
जवाब देंहटाएंयही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!
सीधी सच्ची बात पर सुंदर प्रस्तुति।