शनिवार, 5 जनवरी 2013

जिसकी जैसी नज़र ... !!!














शब्‍दो का अलाव
मत जलाओ इनकी जलन से
तुम्‍हारे मन की तपिश
शीतलता में नहीं बदलेगी
जो शब्‍द अधजले हैं
उनके धुंए से
दम घुट जाएगा
भावनाओं को आंच पर
जिस किसी ने भी रखा है
उसकी तपिश से  वह भी
सुलग गया है भीतर ही भीतर
इन भावनाओं की
समझ तो है न तुम्‍हें
ये जितना दुलार देती हैं 
जितना समर्पण का भाव रखती हैं
हृदय में उतनी ही निष्‍ठुर भी हो जाती हैं
इनका निष्‍ठुर होना मतलब
पूरी तरह तुमसे मुँह फेर लेना
....
भावनाओं को जानना है तो
जिन्‍दगी से पूछना
बड़ा ही प्‍यारा रिश्‍ता होता है
इनका जिन्‍दगी के साथ
ये जन्‍म से ही आ जाती हैं साथ में
फिर मरते दम तक
हमारी होकर रह जाती हैं
हमारे दुख में दुखी  तो
हमारी खुशी में खुश रहना
इनकी फि़तरत होती है 
...
इनका समर्पण रूह तय करती है
प़ाक लिब़ास में लिपटी
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं  ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ... !!!

37 टिप्‍पणियां:

  1. इन भावनाओं की
    समझ तो है न तुम्‍हें
    ये जितना दुलार देती हैं
    जितना समर्पण का भाव रखती हैं
    हृदय में उतनी ही निष्‍ठुर भी हो जाती हैं
    इनका निष्‍ठुर होना मतलब
    पूरी तरह तुमसे मुँह फेर लेना


    बिलकुल सच कहा है.सुन्दर भाव.

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  2. भावनाएं हर कोई अपने अपने ढंग से समझता है
    कोई सही पहुँचता है कोई पहुँचता ही नहीं ...

    बहुत उतम रचना। :)

    recent poem : मायने बदल गऐ

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  3. भावनाएं जैसे मां के आंचल में
    कोई अबोध शिशु
    बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ...

    बहुत उम्दा भाव पूर्ण पंक्तियाँ,,बधाई

    recent post: वह सुनयना थी,

    जवाब देंहटाएं
  4. अति उत्तम भाव पूर्ण पंक्तियाँ भावनाओं की कसौटी पर एकदम खरी प्रस्तुति. हार्दिक बधाई दीदी

    जवाब देंहटाएं
  5. इनका समर्पण रूह तय करती है
    प़ाक लिब़ास में लिपटी
    भावनाएं जैसे मां के आंचल में
    कोई अबोध शिशु
    बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ... ! परिपक्व नज़रिया

    जवाब देंहटाएं
  6. फिर मरते दम तक
    हमारी होकर रह जाती हैं
    हमारे दुख में दुखी तो
    हमारी खुशी में खुश रहना
    इनकी फि़तरत होती है

    ........सुंदर प्रभाव छोडती रचना !!!

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  7. आपकी स्वतंत्रता वहीँ ख़त्म होती है जहाँ से मेरी नाक शुरू होती है...इस बात का एहसास होना बहुत ज़रूरी है...

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  8. जिसकी जैसी नज़र ... !!!

    .....सत्य वर्णन करती.....प्रभावशाली रचना सदा दी !

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  9. भावनाओं को जानना है तो
    जिन्‍दगी से पूछना
    बड़ा ही प्‍यारा रिश्‍ता होता है
    इनका जिन्‍दगी के साथ
    ये जन्‍म से ही आ जाती हैं साथ में
    फिर मरते दम तक
    हमारी होकर रह जाती हैं
    हमारे दुख में दुखी तो
    हमारी खुशी में खुश रहना
    इनकी फि़तरत होती है


    संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...

    जवाब देंहटाएं
  10. भावनाओं को जानना है तो
    जिन्‍दगी से पूछना
    बड़ा ही प्‍यारा रिश्‍ता होता है
    इनका जिन्‍दगी के साथ ..
    बहुत सुन्दर सदा...
    भावनाओं के बिना जीना कैसा??

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  11. बड़ा ही प्‍यारा रिश्‍ता होता है
    इनका जिन्‍दगी के साथ
    ये जन्‍म से ही आ जाती हैं साथ में
    फिर मरते दम तक
    हमारी होकर रह जाती हैं ...
    जनम -मरण की साथी... बहुत सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  12. Bahut sundar Rachna, Badhai... sada, sis
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये .

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  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  14. सदा शुभकामनायें-
    इस प्रभावी प्रस्तुति पर |

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  15. बहुत गहरे भाव..दिल को छूती हुई रचना !

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  16. संवेदना हो तो शब्दों की आवश्यकता ही नहीं होती..सब स्वतः संप्रेषित होता है।

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  17. सच है हमारी अपनी सोच और विचार हर हाल में मायने रखते हैं।

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  18. भावनाओं को जानना है तो
    जिन्‍दगी से पूछना.....
    -------------------------
    हाँ सच में

    जवाब देंहटाएं
  19. जीवन में भावनाएँ अपना स्थान खुद से स्थापित करती है

    जवाब देंहटाएं
  20. भावनाएं जैसे मां के आंचल में
    कोई अबोध शिशु
    बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ... !!!

    ....बिल्कुल सच ...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना...

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत-बहुत सुंदर ! एक-एक शब्द सीधे दिल में उतर गया......
    भावनाएँ ही तो जीवन की साँसें हैं.....
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  22. इनका समर्पण रूह तय करती है
    प़ाक लिब़ास में लिपटी
    भावनाएं जैसे मां के आंचल में
    कोई अबोध शिशु
    बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ... !!!

    निःशब्द करते लाइन

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  23. शानदार बिल्कुल सच और भावपूर्ण रचनाभावनाओं को जानना है तो
    जिन्‍दगी से पूछना
    बड़ा ही प्‍यारा रिश्‍ता होता है
    इनका जिन्‍दगी के साथ
    ये जन्‍म से ही आ जाती हैं साथ में
    फिर मरते दम तक
    हमारी होकर रह जाती हैं
    हमारे दुख में दुखी तो
    हमारी खुशी में खुश रहना
    इनकी फि़तरत होती है

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत ही मार्मिक रचना

    सारांश "जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी" ...

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  25. जीवन में भावनाएँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं. कविता सुंदर तरीके से अपना सन्देश देने में सफल हुई है.

    जवाब देंहटाएं
  26. भावनाएं जैसे मां के आंचल में
    कोई अबोध शिशु
    बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ...

    सटीक आकलन

    जवाब देंहटाएं
  27. भावपूर्ण और सच्ची पंक्तियाँ..

    जवाब देंहटाएं
  28. दिल को छू लेनेवाले भाव...
    भावपूर्ण रचना...

    जवाब देंहटाएं
  29. जो शब्‍द अधजले हैं
    उनके धुंए से
    दम घुट जाएगा |

    बहुत सुन्दर भाव |

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  30. शब्‍दो का अलाव
    मत जलाओ इनकी जलन से
    तुम्‍हारे मन की तपिश
    शीतलता में नहीं बदलेगी
    जो शब्‍द अधजले हैं
    उनके धुंए से
    दम घुट जाएगा ...

    इसलिए ही कहता है शब्दों को संभाल के रखना जरूरी है ... समय पे ही नहीं निकालना जरूरी है ...

    जवाब देंहटाएं
  31. भावनाएं जैसे मां के आंचल में
    कोई अबोध शिशु
    बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
    जिसकी जैसी नज़र होती है
    बिल्‍कुल वैसे ही दिखती हैं ये ... !!!
    बहुत सुन्दर भाव
    नई पोस्ट :" अहंकार " http://kpk-vichar.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  32. ये भावनाएं भी प्यार और स्नेह में ही ज़िंदा रह पाती हैं
    वर्ना भीतर ही दम तोड़ हैं .....!!

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....