सब्र के बाँध में
हिचकियों के पहरे थे
हर चेहरे के पीछे जाने कितने चेहरे थे
सब कहते हैं
सब्र का फल मीठा होता है
इसकी मिठास से तो कभी रू-ब-रू न हुई
फ़कत मजबूत होते गये
हर बार मेरे इरादे
और एक बाँध बन गया सब्र का
जिसके नीचे बहती रही दर्द की नदी
चुपके - चुपके
....
हारना कभी हालातों से सीखा ही नहीं
हौसले की उँगली
उम्मीद की किरण फिर वही पगडंडियाँ
जिन पर सरपट दौड़ती जिंदगी
कभी संकल्पों के धागे
कभी विकल्पों के सोपान
चढ़ना और उतरना
पाना और खोना
हर हाल में मुस्काना
...
कभी अपने ही मेरे बनाते दीवार
मुझे नजरबंद करने के लिए
किस तरह जिंदा रहेगी देखे तो
उफ्फ !!! कैसे हैं ये मेरे अपने
मेरे गम पर हँसते
मेरी खुशियों पर मुँह बिसूरते
पर वो है न ऊपरवाला
मेहरबान जो इतने गमों के बीच भी
मेरे होठों पर तबस्सुम ले ही आता
मैं सज़दे में होती उसके
वो क़ायम रखता मेरे जीने की वज़ह
... सामने वाले का मुँह खुला का खुला रह जाता
ये आखिर बला क्या है :)
हिचकियों के पहरे थे
हर चेहरे के पीछे जाने कितने चेहरे थे
सब कहते हैं
सब्र का फल मीठा होता है
इसकी मिठास से तो कभी रू-ब-रू न हुई
फ़कत मजबूत होते गये
हर बार मेरे इरादे
और एक बाँध बन गया सब्र का
जिसके नीचे बहती रही दर्द की नदी
चुपके - चुपके
....
हारना कभी हालातों से सीखा ही नहीं
हौसले की उँगली
उम्मीद की किरण फिर वही पगडंडियाँ
जिन पर सरपट दौड़ती जिंदगी
कभी संकल्पों के धागे
कभी विकल्पों के सोपान
चढ़ना और उतरना
पाना और खोना
हर हाल में मुस्काना
...
कभी अपने ही मेरे बनाते दीवार
मुझे नजरबंद करने के लिए
किस तरह जिंदा रहेगी देखे तो
उफ्फ !!! कैसे हैं ये मेरे अपने
मेरे गम पर हँसते
मेरी खुशियों पर मुँह बिसूरते
पर वो है न ऊपरवाला
मेहरबान जो इतने गमों के बीच भी
मेरे होठों पर तबस्सुम ले ही आता
मैं सज़दे में होती उसके
वो क़ायम रखता मेरे जीने की वज़ह
... सामने वाले का मुँह खुला का खुला रह जाता
ये आखिर बला क्या है :)
प्रभावी -
जवाब देंहटाएंभाव
प्रवाह-
शुभकामनायें-सदा ||
हर बार मेरे इरादे
जवाब देंहटाएंऔर एक बाँध बन गया सब्र का
जिसके नीचे बहती रही दर्द की नदी
चुपके - चुपके
.....बहुत खूबसूरत गहरी और शांत रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा !!
कभी अपने ही मेरे बनाते दीवार
जवाब देंहटाएंमुझे नजरबंद करने के लिए ... अपने ही ये कदम उठाते हैं
हौसले बने रहे ....और लोगों की हैरानी भी
जवाब देंहटाएंहौसले की उँगली थामें
जवाब देंहटाएंसच कह रही हूँ मैं
चली जा रही हूँ
आगे ही आगे
waah bahut hi sundar
जवाब देंहटाएंहौसला बुलंद रहे । बहुत ही सुंदर कविता ।
जवाब देंहटाएंHamesha ki Tarah Umda Rachna ......Sada, sis
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी रचना...
जवाब देंहटाएं... सामने वाले का मुँह खुला का खुला रह जाता
जवाब देंहटाएंये आखिर बला क्या है :)
बला नहीं बहादुर हैं आप !!
बहुत सुंदर प्रभावशाली प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: मातृभूमि,
वाह वाह.....बहुत ही सुन्दर......शुरू के दो पैरे तो लाजवाब हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंजालिम लगी दुनिया हमें हर शक्श बेगाना लगा
हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से
नफरत से की गयी चोट से हर जखम हमने सह लिया
घायल हुए उस रोज हम जिस रोज मारा प्यार से
कभी संकल्पों के धागे
जवाब देंहटाएंकभी विकल्पों के सोपान
चढ़ना और उतरना
पाना और खोना
हर हाल में मुस्काना
-------------------------
वाह ..
बेहद प्रभावशाली रचना !!!
जवाब देंहटाएंसब्र का फल मीठा होता ही है...जो अनंत धैर्य रख सकता है अनंत का द्वार उसके लिए खुल जाता है..
जवाब देंहटाएंप्राण उससे ही अनुप्राणित है।
जवाब देंहटाएंमैं सज़दे में होती उसके
जवाब देंहटाएंवो क़ायम रखता मेरे जीने की वज़ह
... सामने वाले का मुँह खुला का खुला रह जाता
ये आखिर बला क्या है :)
बस यही है सत्य ………सुन्दर रचना
सुन्दर और भावपूर्ण |
जवाब देंहटाएंआशा
हारना कभी हालातों से सीखा ही नहीं
जवाब देंहटाएंहौसले की उँगली
उम्मीद की किरण फिर वही पगडंडियाँ
जिन पर सरपट दौड़ती जिंदगी
कभी संकल्पों के धागे
कभी विकल्पों के सोपान
चढ़ना और उतरना
पाना और खोना
हर हाल में मुस्काना
सुन्दर और भावपूर्ण, आशा
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना... जीने की वजह कायम रहे... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअपने ही रास्ते मेन रोड़े अटकाते हैं ..... लेकिन जब हर बाधा पार कर ली जाये तो मुंह तो खुला होना ही है .... बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस बल में बड़ी जान है !
जवाब देंहटाएंभीतर की मजबूती संघर्ष के दिनों में और निखरती है !
सुन्दर भावपूर्ण कविता |आभार
जवाब देंहटाएंयही हौसला चाहिए जो औरों को हैरान भी कर जाये और परेशान भी ! बहुत खूबसूरत एवं बेहतरीन रचना ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंyahi jijivisha to sabse alag banati hai..sundar rachna..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...
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