मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

क्‍यों ....?








तुम्‍हारे जाने के नाम पर

क्‍यों

मुझे लगने लगता है

जैसे मुझमें

एक खालीपन

समाता जा रहा है

यह रिक्‍तता कैसी है

जो मुझसे

सिर्फ तेरा

साथ मांगती है

और कुछ नहीं ....।

खोजती आंखे सिर्फ

तेरा ही अक्‍स हैं

क्‍यों

शायद छुपी है

इनमें मेरी

रिक्‍तता की पूर्णता ...।

पर ये भी तो सच है

कि तू हर पल साथ है मेरे

फिर भी

क्यूँ वक़्त अनमना हो उठता है

तेरे जाने के नाम पर !!!

25 टिप्‍पणियां:

  1. ये तो प्यार है....:)

    बड़ी ही प्यारी रचना..आपके क्यूँ का उत्तर भी मैंने दे दिया है..हा हा हा....

    वो लम्हें जो याद न हों........

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  2. सुंदर भावाभिव्यक्ति.... सच में रिक्तता तो आती ही है....

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  3. इस क्यों का ज़वाब भी आप ही के पास है...:)

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  4. क्या बोलूँ मामला रिस्क का है.
    ये चक्कर इश्क-विश्क का है.

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  5. तभी स्त्री-पुरुष को एक दूसरे का पूरक कहा गया।

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  6. शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।

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  7. आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.

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  8. यही तो प्यार होता है जब साथ हो तो भी और ना हो तो भी मन तो अनमना होगा ही…………ये भी प्यार का एक अन्दाज़ है।

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  9. pyaar puja prarthna ... asimit hai, ise sirf ek paridhi me nahi baandh sakte , yah 'tum' koi bhi ho sakta hai, baat hai ki hum kaha se dekhte hain...bahut hi achhi rachna

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  10. Bhut hi khubsurat...kuch pyaarbhari purani yadein yaad aane lagi aapki kavita padh kar..bhut hi sundar,ek pyaara ehsaas hota hai pyaar...thnks

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  11. आप सभी का बहुत-बहुत आभार प्रोत्‍साहन के लिए ...किसी को यह प्रेम का अहसास जगाती हुई तो किसी को स्‍त्री-पुरूष का पूरक लगी यह रचना ...सच हर चीज को देखने का अपना-अपना नजरिया होता है ..वही इस रचना में भी आपके सामने है ..रश्मि दी, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद मार्गदर्शन के लिये ...।

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  12. प्रेम कि पराकाष्ठा हो तो ऐसी ही अनुभूति होती है ...रश्मि जी की बात से सहमत हूँ ...

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  13. मेरे मन की बात कैसे जान ली. सच, कितना मुश्किल
    होता है न ये सब

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  14. दिल के भाव अच्छे शब्दों मे। शुभकामनायें।

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  15. मनोभावों का सहज बोध कराती हुई सुन्दर रचना!

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  16. जब मन इतना विचलित हो किसी की याद में तो मान ही लेते है की दिल से प्रेम का स्रोत बह चला है .

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  17. गहरे भावो केा सरलता से कहना तो कोई आपसे सीखे
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  18. तेरे जाने के नाम पर
    यूँ खाली होना
    मुझे विवश करता है सोचने को
    यह रिश्ता क्या है !.... वाह

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  19. इसी को अंतस के प्रेम की अनुभूति कहते हैं ... बहुत ल्कजवाब रचना है ...

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....