मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

दर्द की नदी में ....











(१)

हर रिश्‍ता,

गहरा होता गया

साथ तेरे....

उंगली पकड़ के

चली जब मैं

साथ तेरे ...

धड़कन का सच

रूह ने जाने

कब कह दिया

दूर कहां, तुम तो

हर पल हो

पास मेरे ....!!

(२)

मन की घुटन ने,

जब

दर्द की नदी में

गोता लगाया,

जाने कितने

आंसुओं को

वो चुपके से

किनारे में

बहा आया,

तेरे सामने जब भी

आया

सदा मुस्‍कराया ।

29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही प्यारी सी दो क्षणिकाएं...बहुत ही सुन्दर लगीं...
    पहली ने तो प्यार के हलके से थपेड़े महसूस कराये...

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  2. वाह! दोनो ही कविता बेहतरीन है

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  3. गज़ब कर दिया ………भावों का बहुत ही खूबसूरत समन्वय्।

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  4. दोनो ही भावमय रचनायें अच्छी लगी। कम शब्दों मे पूरी बात। बधाई।

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  5. ओह ..दोनों ही बहुत भावपूर्ण ...दर्द की नदी में गोता लगाया ...बहुत सुन्दर

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  6. सदा ने सदा इतनी अच्छी लगाई.
    कि दुनिया उसी ब्लॉग पे खिंच के आई.

    अच्छी लगी आपकी कविता

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  7. sada ji , main kya kahun... aapki dono rachnao ko padhkar man pata nahi kaha thahar gaya hai ... pahli wali kavita ne to bahut hi ruhaani ahsaas ko janm de diya hai .. shayad isi bhaav par main bhi ek kavita likhu...
    aapko dil se badhayi

    vijay
    poemsofvijay.blogspot.com
    09849746500

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  8. बहुत ही सुंदर मन को भाव विभोर कर देने वाली रचनाएँ और सच को छूती हुई.

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  9. कम शब्दों में पिरोये गहरे भाव .... बेहतरीन कविता ...

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  10. लाजवाब लेखन, दोनों ही क्षणिकाएं बहुत खास लगीं

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  11. कम शव्दों में कह दी आपने सारी बात ...भावनात्मक प्रस्तुति ...शुक्रिया

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  12. sada ji
    aapne to kamaal kar diya ,itni sundar xhnikaye, vo hi adhbhut tareeke se pesh kiya hai .
    Wah! bahut khoob,kya baat hai-----
    poonam

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  13. बहुत ही भावनात्मक प्रस्तुति है ... सच है कई बार जब मन दुखी होता है ... पर दूसरे को एहसास नही होने देता ...

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  14. वाह...कमाल का लिखा है
    दोनों रचनाएं बहुत अच्छी लगी.

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  15. jise hum pyaar karte wah door jaa kaise sakta hai, wah to yaadon ke ganw se chalkar hamesha paas khada hota hai ....

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  16. बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं..दर्द की नदी में ...

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  17. बहुत भावपूर्ण क्षणिकायें हैं दोनों ! दोनों ही एक से बढ़ कर एक ! बहुत सुन्दर !

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  18. दोनों ही रचनाये बहुत खुबसूरत है....

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  19. बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....