शनिवार, 17 जुलाई 2010

सारे रिश्‍ते तोड़ आया ....







गुरबत पे मेरी मुझको छोड़ सबको तरस आया,

सब मुझे छोड़ गये मैं न उसको फिर छोड़ पाया ।

कुछ भूल गये मुझको, कुछ अजनबी हुये मुझसे,

मैं लौटा यादें साथ ले जब मुश्किल ये मोड़ आया ।

रिश्‍ता खून का दुहाई मांगे मेरे होने की जब भी,

मैं कहता हंसकर मैं तो सारे रिश्‍ते तोड़ आया

नासमझ को समझाओ तो जरा टूटे हुए धागे को,

बिन गांठ के कौन है जो आजतलक जोड़ पाया ।

खेल तकदीर के खिलौना बन के इंसान निभाता है,

भटका सारा जीवन तब जाकर यह निचोड़ आया ।

30 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  2. आपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर भी है...

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/07/217_17.html

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  3. Anupam bhaav liye hai aapki rachna ... bahut prabhaavi hai ... jo rishte gawaahi maange unhe chod dena hi behtar hota hai ...

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  4. बहुत खूबसूरत गज़ल है...रश्मि जी ने सही कहा है...

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  5. बेह्द सुन्दर और प्रभावशाली रचना।

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  6. it is an example of sacrifice for love, the great L O V E. A very nice and impressive article. Thanks.

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  7. आप सबका बहुत-बहुत आभार, इस प्रोत्‍साहन के लिये ।

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  8. नासमझ को समझाओ तो जरा टूटे हुए धागे को,
    बिन गांठ के कौन है जो आजतलक जोड़ पाया ।

    वाह! उम्दा!

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  9. बिल्कुल सही!
    --
    जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया!
    जब शम्मा बुझ गई तो महफिल में रंग आया!!

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  10. नासमझ को समझाओ तो जरा टूटे हुए धागे को,
    बिन गांठ के कौन है जो आजतलक जोड़ पाया ।


    बहुत सुंदर नज़्म ......!!

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  11. .
    Thanks for sharing this wonderful ghazal/nazm.

    All are couplets are marvelous.

    badhai.

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  12. खेल तकदीर के खिलौना बन के इंसान निभाता है,

    भटका सारा जीवन तब जाकर यह निचोड़ आया ।
    बहुत सुंदर नज़्म .. शुभकामना

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  13. किस तरह दर्द को उकेरा है शब्दों से.जो दर्द अभी तक महसूस नहीं होते थे आज हो रहे हैं

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  14. कुछ भूल गये मुझ को----- मार्मिक अभिव्यक्ति । पूरी रचना बहुत अच्छी लगी बधाई

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  15. बहुत सुंदर भाव लिए ....ख़ूबसूरत रचना....

    सॉरी मैं लेट हो गया....

    और आप कैसी हैं?

    I do Hope .........U will be fine...

    regards....

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  16. वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!

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  17. bahut sunder rachana hai.......
    sara jeevan anubhavo ka nichod hai ise rachana me.........

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  18. मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!

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  19. bahut bhavuk rachna ajay ji...

    kuch bhul gaye,kuch ajnabi hue mujhse
    main lauta yaaden saath le jab mushkil ye mor aaya.


    bahut badhai ho...

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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

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  21. सुन्दर और भावपूर्ण रचना! हर एक शब्द दिल को छू गयी! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!

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  22. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....