कागज उजला है फिर भी निखरा नहीं है वह,
कलम उदास पड़ी है कागज के एक कोने में,
उसमें निखार आएगा जब सार्थक अक्षर उसपे,
कलम उतारेगी अपनी नोक से हर एक कोने में ।
किसी का प्रेम, किसी की खुशी, किसी का गम,
बांटती कलम, कभी साझा करती दर्द एक कोने में ।
इसे बहुत ही भाते अक्षर, शब्द और पंक्तियां जो,
लिखकर रच देते इतिहास ये रहता सबको संजोने में ।
आड़ी-तिरछी लकीरें जब बच्चे खींचकर खुश होते,
इस पर तो यह भी मुस्काता संग उनके खुश होने में ।
बहुत खूब । लाजवाब रही । बधाई
जवाब देंहटाएंकलम उदास पड़ी है कागज के एक कोने में,
जवाब देंहटाएंउसमें निखार कलम उदास पड़ी है कागज के एक कोने में,
उसमें निखार आएगा जब सार्थक अक्षर उसपे,
जब सार्थक अक्षर उसपे,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ....
खूबसूरत शब्दों के साथ एक खूबसूरत रचना....
कम लफजों में गहरी बात।
जवाब देंहटाएंजिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
बहुत खूब , मैं इसे इस तरह व्यक्त करूंगा कि;
जवाब देंहटाएंकागज़ की शुनसान वादियों में
तब बहार आयेगी,
जब एक बेबश कलम उसपर
अपने आंसू बहायेगी !
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत -२ बधाइयाँ
शब्द-शब्द में एक एहसास है,जीवंत होने का गहरा भाव है
जवाब देंहटाएंकागज उदास पड़ा कोने में ...उदासी में खिंची लकीरें ही तो रचनाये बन गयी ...बहुत सुन्दर रचना ...!!
जवाब देंहटाएंआड़ी-तिरछी लकीरें जब बच्चे खींचकर खुश होते,
जवाब देंहटाएंइस पर तो यह भी मुस्काता संग उनके खुश होने में
कल्पना हकीकत बयान करती है!
इसे बहुत ही भाते अक्षर, शब्द और पंक्तियां जो,
जवाब देंहटाएंलिखकर रच देते इतिहास ये रहता सबको संजोने में ।
बहुत खूब.....मन के भावों को कागज़ समेट लेता है...
कलम उदास पड़ी है कागज के एक कोने में,
जवाब देंहटाएंकलम को उदास न होने दें
कम शब्दों मे बहुत बडी बात कही आपने बधाई
जवाब देंहटाएंशाश्वत सत्य और सुन्दर... बिलकुल आप
जवाब देंहटाएंशब्दों के आकार लेने से ही तो काग़ज़ में जीवन आता है .......... बहुत अच्छे ज़ज्बात उतारे हैं आपने ..........
जवाब देंहटाएंsundar chali aapki kalam !!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने शुक्रिया
जवाब देंहटाएंइसे कविता में नया प्रयोग कहूँ तो अतिशयोक्ति न होगी। व्यर्थ की बातें कह कर आलोचना कर सकते हैं लोग... लेकिन यह सही न होगा.
जवाब देंहटाएंक्योंकि कविता में हमें चाहिए क्या ? अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति न! फिर इन दो पंक्तियों में जो भाव मुखर हो सामने आते हैं वह किसी भी सशक्त भाषा शैली में लिखे गए काव्य से कमतर नहीं हैंः-
आड़ी तिरछी लकीरें जब बच्चे खींच कर खुश होते
इस पर तो यह भी मुस्काता संग इनके खुश होने में।
--कितनी मासूम भावनाओं का इजहार कर रही हैं ये पंक्तियाँ !
-बधाई।
यूँ ही लिखती रहें इसे ही कविता कहते हैं।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकागज उदास पड़ा कोने में ...उदासी में खिंची लकीरें ही तो रचनाये बन गयी ...बहुत सुन्दर रचना ...!
जवाब देंहटाएंsunder bhav abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhav....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।....
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!