(1)
टूटा जब
पत्ता डाली से,
लिपट के रोया
माली से,
सांस अन्तिम
उसने ली
फिर न लौट पाया
डाली पे ।
सूखा पड़ा रहा
धरा में
कभी रौंदा गया
किसी के कदमों तले
कसक उठता मन
कुछ बचा था अंश
उसे उठा ले गई
एक दिन पवन
(2)
टूटकर गिरी
बिजलियां उस पर,
जो अंधेरे में
छुपकर बैठा था
उन्हें कुछ भी
न हुआ
जो तकते थे
गगन !
oh..........dil ko choone gayi dono hi rachnayein.
जवाब देंहटाएंbehtreen .
बहुत खुबसूरत लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंटूटकर गिरी बिजलियां उस पर,
जवाब देंहटाएंजो अंधेरे में छुपकर बैठा था
उन्हें कुछ भी न हुआ
जो तकते थे गगन !
बहुत बढ़िया ...
सूखे पत्ते की व्यथा कथा भी खूब अभिव्यक्त हो गयी है कविता में ..!!
बेहद भावपुर्ण रचना .......अतिसुन्दर!
जवाब देंहटाएंदोनों शब्द-चित्रों को
जवाब देंहटाएंआपने अपने शब्दों की माला में
करीने से पिरोया है।
बधाई!
बहुत खूबसूरत और भावपूर्ण शब्दचित्रो ने दिल को छू लिया.
जवाब देंहटाएंडाल से पत्ते का टूटना यह एक बहुत बड़ा दुख है ।
जवाब देंहटाएंक्या खूब कहा आपने दिल को छू लेने वाली कविता
जवाब देंहटाएंयही नियति है.
जवाब देंहटाएंफिर भी अंहकार है की कम ही नहीं होता, मानवता है की विलुप्त होती जा रही है.....
सुन्दर छोटी पर गहन भावों से लबालब.
हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
कभी रौंदा गया
जवाब देंहटाएंकिसी के कदमों तले
कसक उठता मन
कुछ बचा था अंश
उसे उठा ले गई
एक दिन पवन
सदा जी सुंदर रचना ....!!
sada ji
जवाब देंहटाएंnamakar .
aapki ye kavita padhi. aapki abhivyakti bahut sudar ban padhi hai.. patte aur insaan me koi jyda fark nahi hai ...ise hi niyati kahte hai. aapki kavita dil ko choo gayi
meri badhai sweekar kare..
dhanywad
vijay
www.poemofvijay.blogspot.com
पत्ता डाली से,
जवाब देंहटाएंलिपट के रोया
माली से,
सांस अन्तिम
उसने ली
फिर न लौट पाया
डाली पे ।
टूटते पत्ते की व्यथा बहुत ही मार्मिकता से निभाया है इसे शब्दों मे दोनो रचनायेम बहुत अच्छी हैं शुभकामनायें
bahoot hi kamaal ka likha hai .... ati sundar
जवाब देंहटाएंटूटा जब
जवाब देंहटाएंपत्ता डाली से,
लिपट के रोया
माली से,
सांस अन्तिम
उसने ली
फिर न लौट पाया
डाली पे ।
in panktiyon ne to dil ko chhoo liya..........
baht sundar kavita.......... apne aap mein sampoorna hai..........
एक घरौंदा जो बनाया था, बरसात में बह गया
जवाब देंहटाएंisey dekh kar bataiyega.........plz
रचना काबिले तारीफ़ है, शुभकामनाएं|
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