(1)
भरम आंखों का
रहने दो आंखो में
छिप जाये जहां
कोई आंसू की बूंद
तेरे सजल नयनों में
इतना दर्द हो
तेरे बैनों में
चीत्कार करता
तेरा हृदय
दर्द से तड़पती
रूह को सुकूं दे जाए ।
(2)
मन को मेरे
अहसास तो था
कि तू मेरा नहीं है,
भरोसे को अपने
मैने
मन से ऊपर कर दिया
और
कहा हो सकता है
यह मेरा भरम हो
पर बेवफा
तूने उस भरम को भी
मेरा रहने न दिया
तोड़ दिया
जज्बातों को ।
सुन्दर कविता ..बधाई
जवाब देंहटाएं...बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंचलो अच्छा हुआ भ्रम टूटा
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
बढ़िया कुछ भ्रम यूँ ही होते हैं
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachana ......atisundar .
जवाब देंहटाएंबढ़िया शब्द-चित्र पेश किये हैं,सदा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई।
यह मेरा भरम हो
जवाब देंहटाएंपर बेवफा
तूने उस भरम को भी
मेरा रहने न दिया
तोड़ दिया
जज्बातों को ।
wah! sampoorn kavita bahut achchi lagi..... shabdon ko bahut khoobsoorti se dhaala hai aapne.....
हकीकत में रहना भी तो जरूरी है .......... सत्य से जितना जल्दी परिचय हो उतना ही अच्छा है ........
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है .......
प्रेम में हार जीत नहीं होती ...कभी पराजय नहीं होती ...फिर ऐसा श्राप क्यों ....शुभ हो ..!!
जवाब देंहटाएंbhram hain to tootenge hi ...........tabhi to apna naam sarthak karenge...........bahut hi sundar rachna.
जवाब देंहटाएंभरोसे को अपने
जवाब देंहटाएंमैने
मन से ऊपर कर दिया
भरोसा तो ऊपर होता ही है तभी तो टूटता है.
kyee baar bram me jeena achha lagta hai...bram achhe hai bram sache hai....
जवाब देंहटाएंबहुत विह्वल करती कविता !
जवाब देंहटाएं