गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

पलकें झुक गईं ....

धड़कनों से पूछा तेरा नाम लेकर मैने,

किसके लिये यूं इतना धड़कना तेरा है ।

तेरे चलने से मेरी सांसे चलती है बस,

मैं तो समझती थी इतना काम तेरा है ।

पलकें झुक गई शर्मोसार होकर जब,

मैने जाना इसमें समाया अक्‍स तेरा है ।

लब खामोश थे कुछ कहते कंपकंपा के,

समझ गई मैं इनमें भी नाम तेरा है ।

चाहत में तेरी मैं खुद से अंजान हुई यूं,

देखा हथेली पे कब से लिखा नाम तेरा है ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. पलकें झुक गई शर्मोसार होकर जब,

    मैने जाना इसमें समाया अक्‍स तेरा है ।

    wah! bahut hi khoobsoorat panktiyan.....

    khoobsoorat ehsaas ke saath ek behtareen kavita.......

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  2. किसके लिये यूं इतना धड़कना तेरा है ।

    तेरे चलने से मेरी सांसे चलती है बस,

    मैं तो समझती थी इतना काम तेरा है ।

    बहुत सुन्दर!!

    pankaj

    जवाब देंहटाएं
  3. चाहत में तेरी मैं खुद से अंजान हुई यूं,
    देखा हथेली पे कब से लिखा नाम तेरा है .....

    किसी की चाहत का रंग ऐसा ही चड़ता है ..... खुद की खबर ही नहीं रहती ......... सुन्दर रचना है .......

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  4. बहुत सुन्दर लिखा है आपने
    चाहत में तेरी मैं खुद से अंजान हुई यूं,
    देखा हथेली पे कब से लिखा नाम तेरा है .....

    जवाब देंहटाएं
  5. चाहत में तेरी मैं खुद से अंजान हुई यूं,
    चाहत मे तो खुद से अंजान हो जाने की यह प्रथम सोपान ही तो है जब चाहत का संज्ञान हो जाता है.
    बहुत खुबसूरत रचना

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  6. लब खामोश थे कुछ कहते कंपकंपा के,
    समझ गई मैं इनमें भी नाम तेरा है ।

    नज़्म के अशआर खूबसूरत है।
    मुबारकवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. चाहत में तेरी मैं खुद से अंजान हुई यूं,
    देखा हथेली पे कब से लिखा नाम तेरा है ।

    वाह......!!

    बहुत सुंदर......!!

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  8. प्रेम के विषय के अलावा अन्य विषयो पर भी आपकी लेखनी अच्छी चलती है ।............................ यह हमे पता है

    जवाब देंहटाएं
  9. धड़कनों से पूछा तेरा नाम लेकर मैने,

    किसके लिये यूं इतना धड़कना तेरा है ।


    तेरे चलने से मेरी सांसे चलती है बस,

    मैं तो समझती थी इतना काम तेरा है ।

    sunder ahsas hai

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....