बुधवार, 17 अगस्त 2016
शनिवार, 6 अगस्त 2016
दोस्त है वही !!!
सुबह शाम
कैसे हो दोस्त कहे
मेरा ये मित्र !
...
संग दोस्त का
अनमोल ये पल
साथ हैं हम !
...
फूल दोस्ती का
साथ निभाते हुये
महका करे !
...
साथ चले जो
दूर रहकर भी
दोस्त है वही !
...
दोस्त जिंदगी
रिश्ता ईमान का ये
जान से प्यारा !
...
रिश्ता दोस्ती का
जिंदगी को सौग़ात
मिली रब से !!
शनिवार, 16 जुलाई 2016
अर्थ बोलते हैं जब !
शब्द प्रेरणा होते हैं
जब मन स्वीकारता है उन्हें
तो अर्थ बोलते हैं उनके
आरम्भ होती हैं पंक्तियाँ
जन्म लेती है कविता
कितनी बार
इन शब्द और अर्थों के साये में !
...
प्रेरक विचार
जन्म लेने से पहले
कितना मथते हैं मन को
शब्दों का कोलाहल
एकदम शांत चित्त हो
ठिठककर सुनता है
अर्थ बोलते हैं जब
इन शब्दों के
विचार एकाएक
हो जाते हैं बलशाली
निश्चय की आखि़री सीढ़ी
वो चढ़ चुके होते है
जहाँ उनकी अडिगता को
डिगा पाना मन के लिए भी
संभव नहीं हो पाता !!!
शनिवार, 7 मई 2016
माँ के लिये !
माँ ने नहीं पढ़े होते
नियम क़ायदे
ना ही ली होती है डिग्री
कोई कानून की
फिर भी हर लम्हा सज़ग रहती है
अपने बच्चों के अधिकारों के प्रति
लड़ती है जरूरत पड़ने पर
बिना किसी हथियार के
करती है बचाव सदा
खुद वार सहकर भी !
....
माँ के लिये एक समान होती हैं
उसकी सभी संताने
किसी एक से कम
किसी एक से ज्यादा
कभी भी प्यार नहीं कर पाती वह
ये न्याय वो कोई तुला से नहीं
बल्कि करती है दिल से
ममता की परख
बच्चे कई बार करते हैं !!
...
कसौटियों पर रख ये भी कहते हैं
हमें कम तुम्हें ज्यादा चाहती है माँ
कहकर आपस में जब झगड़ते हैं
तो उन झगड़ों को वो अक़्सर
एक सहज सी मुस्कान से मिटा देती है
और सब लग जाते हैं गले
ऐसा न्याय सिर्फ माँ ही कर सकती है !!!
मंगलवार, 19 अप्रैल 2016
जिंदगी ...
जिंदगी
मैं सोचती हूँ
जब भी तुम्हें
तो फिर
जाने क्यूँ सब कुछ
भूल जाता है smile emoticon
....
सच कहो
तुम कोई याद हो
या फिर रिश्ता
जन्मों का
जो निभाती हो
नाता ताजिंदगी
जिंदगी के साथ !
...
कोई रिश्ता
मन वचन के साथ-साथ
हो जाता है जिंदगी भी
अपने आप से
...
ये मन का आप
न जाने कितनी
कसौटियों का
लेखा-जोखा करता है
और निभाता है
रिश्ता हर एक से
परख मन की
आईना जिंदगी का
...
मैं सोचती हूँ
जब भी तुम्हें
तो फिर
जाने क्यूँ सब कुछ
भूल जाता है smile emoticon
....
सच कहो
तुम कोई याद हो
या फिर रिश्ता
जन्मों का
जो निभाती हो
नाता ताजिंदगी
जिंदगी के साथ !
...
कोई रिश्ता
मन वचन के साथ-साथ
हो जाता है जिंदगी भी
अपने आप से
...
ये मन का आप
न जाने कितनी
कसौटियों का
लेखा-जोखा करता है
और निभाता है
रिश्ता हर एक से
परख मन की
आईना जिंदगी का
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....