शब्द प्रेरणा होते हैं
जब मन स्वीकारता है उन्हें
तो अर्थ बोलते हैं उनके
आरम्भ होती हैं पंक्तियाँ
जन्म लेती है कविता
कितनी बार
इन शब्द और अर्थों के साये में !
...
प्रेरक विचार
जन्म लेने से पहले
कितना मथते हैं मन को
शब्दों का कोलाहल
एकदम शांत चित्त हो
ठिठककर सुनता है
अर्थ बोलते हैं जब
इन शब्दों के
विचार एकाएक
हो जाते हैं बलशाली
निश्चय की आखि़री सीढ़ी
वो चढ़ चुके होते है
जहाँ उनकी अडिगता को
डिगा पाना मन के लिए भी
संभव नहीं हो पाता !!!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " अलगाववाद का नशा!! " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंशब्द और अर्थ का अनुपम संबंध उकेरती सुंदर पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-07-2016) को "सच्ची समाजसेवा" (चर्चा अंक-2407) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Aabhar aapka
जवाब देंहटाएंsadar
शब्द और विचार जब प्रखर होते हैं तो गहरा महत्त्व रखते हैं ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंPlease visit my blog
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बहुत सटीक और सार्थक पोस्ट सही बात ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें
जवाब देंहटाएंhttps://www.facebook.com/MadanMohanSaxena
सुंदर रचना ।
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