शनिवार, 16 जुलाई 2016

अर्थ बोलते हैं जब !



शब्‍द प्रेरणा होते हैं
जब मन स्‍वीकारता है उन्‍हें
तो अर्थ बोलते हैं उनके
आरम्‍भ होती हैं पंक्तियाँ
जन्‍म लेती है कविता
कितनी बार
इन शब्‍द और अर्थों के साये में !
...
प्रेरक विचार
जन्‍म लेने से पहले
कितना मथते हैं मन को
शब्‍दों का कोलाहल
एकदम शांत चित्‍त हो
ठिठककर सुनता है
अर्थ बोलते हैं जब
इन शब्‍दों के
विचार एकाएक
हो जाते हैं बलशाली
निश्‍चय की आखि़री सीढ़ी
वो चढ़ चुके होते है
जहाँ उनकी अडिगता को
डिगा पाना मन के लिए भी
संभव नहीं हो पाता !!!

10 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " अलगाववाद का नशा!! " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. शब्द और अर्थ का अनुपम संबंध उकेरती सुंदर पंक्तियाँ !

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-07-2016) को "सच्ची समाजसेवा" (चर्चा अंक-2407) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. शब्द और विचार जब प्रखर होते हैं तो गहरा महत्त्व रखते हैं ... सुन्दर रचना ...

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  5. बहुत सटीक और सार्थक पोस्ट सही बात ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें
    https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....