शनिवार, 16 जून 2018

पिता का स्नेह
खुशियों का आँगन
झूमता मन !
...
थाम ऊँगली
खिलखिलाता मन
पापा के संग !
...
थाम के हाँथ
जग दिखे मेले सा
पापा के संग !
..
पिता का साया
जीवन धड़कन
हँसते हम !
..
काँधे पे हाँथ
पापा ने जब रखा
मन मुस्काया !
...

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-06-2018) को "पूज्य पिता जी आपका, वन्दन शत्-शत् बार" (चर्चा अंक-3004) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  2. पिता क प्रेम को समर्पित हाइकू ...
    अपनी बात प्रखरता से रखते हुए ... बहुत लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....