मंगलवार, 5 जून 2018

श्रृंगार धरती का !!!!

हरियाली ये
श्रृंगार धरती का
उजाड़ो मत !
....
हैं वरदान
धरा में पेड़ पौधे
बचा लो इन्हें !
...
बो देना बीज
धरा की गोद सूनी
प्रकृति कहे !
....
खुद तपते
शीतल छाँव देते
हमें वृक्ष ये!
...
कड़वी नीम
मीठी निम्बोली देती
शीतल छाँव !
....
कुल्हाड़ी मार
गिराया जो पेड़ को
चीखी थीं जड़ें !
...

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....