शुक्रवार, 25 मई 2018

रुको मत !!!!



ये खटपट वाले रिश्ते भी
जब मौन होते हैं
तो मन को छटपटाहट होती है
जाने क्या  हुआ
इनका लड़ना-झगड़ना ही
साबित करता है
जिंदगी में बाकी है
अभी बहुत कुछ करना
किसी को मनाना है तो
किसी को सोते से जगाना है !
...
सीधी लाईन होती है न
जब ईसीजी में
तो उसका अर्थ होता है
हम जीवित नहीं है
उतार-चढ़ाव ये टेढ़े-मेढ़े रास्ते
जिन पर उछल-कूद करते हुये
जिंदगी बिंदास होकर
अपना संतुलन बना ही लेती है
तब हम मुस्करा देते हैं
तो रूको मत
जिंदगी और समय के साथ
कदम मिलाते जाओ
उसकी ही ताल में
खुशियां मिलेंगी हर हाल में !!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-05-2017) को "उफ यह मौसम गर्मीं का" (चर्चा अंक-2982) (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. खुबसूरत अहसासों का यह रिश्ता जब वह मक़ाम हासिल कर ले की एक दुसरे की मन की बात कहने सुनाने के लिए किसी को भी शब्दों की ज़रूरत न हो

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन रास बिहारी बोस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. खड़कना स्वाभाविक है रिश्तों का ... जीते जागते भी तो तभी लगते हैं ...
    और टेड़े मेढे रास्ते न हों तो चलने का मजा भी नीरस लगने लगता है समय के साथ साथ ... दोनों रचनाएं गहरी और दूर की बात करती हुयी हैं ...

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 29 मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. सुंदर संदेश देती जीवन्त रचना ।

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  7. बहुत सुन्दर सीख देती रचना...
    जिंदगी और समय के साथ
    कदम मिलाते जाओ
    उसकी ही ताल में
    खुशियां मिलेंगी हर हाल में !!!

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 18 मई 2019 को साझा की गई है......... मुखरित मौन पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. वाह क्या खूब
    जीवन का सत्य

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....