सोमवार, 2 अप्रैल 2018
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मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-04-2018) को ) "रहने दो सम्बन्ध" (चर्चा अंक-2930) पर होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आभार आपका
हटाएंआभार आपका
जवाब देंहटाएंवाह!!! बहुत खूब.... बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजब बातें
जवाब देंहटाएंकड़क और स्प्ष्ट हों
तो मन भी सिक्का हो जाता है
क्या लेना है और क्या छोड़ना
निर्णय किसी हथेली पर
चाहकर भी नहीं छोड़ता मन !!!
बेहद सटीक पंक्तियाँ
माँ ख़ुद भी सोच नहीं पता और छोड़ना। ही नहि चाहता ...
जवाब देंहटाएंमन के अहसास और दुविधा के लमहों को बख़ूबी लिखा है ...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंनिमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।