शनिवार, 23 दिसंबर 2017
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ब्लॉग आर्काइव
मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
गजब
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-12-2017) को "ओ मेरे मनमीत" (चर्चा अंक-2827)
जवाब देंहटाएंपर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका ... सादर
हटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 24 दिसम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार आपका ... सादर
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, वेटर का बदला - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका ... सादर
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पंक्तियाँ सदा जी।
जवाब देंहटाएंसच है. अभिमान नहीं करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंawesome observation ......
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का ... सादर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंवाह ... जीभ न हो तो कुछ भी नहीं ...
जवाब देंहटाएंगज़ब लिखा है ...
superb!!!!!!!!!
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