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कुछ रिश्ते
जिंदगी होतें हैं
परवाह और
अपनापन लिए
जिनमें फ़िक्र की
धूप होती है
और ख्यालों की छाँव !!!
...
शब्दों की बारिश से
भीगा है मन
मेरे आस पास
कुछ नमी सी है
कहीं तुम उदास तो नहीं ??
कुछ रिश्ते
जिंदगी होतें हैं
परवाह और
अपनापन लिए
जिनमें फ़िक्र की
धूप होती है
और ख्यालों की छाँव !!!
...
शब्दों की बारिश से
भीगा है मन
मेरे आस पास
कुछ नमी सी है
कहीं तुम उदास तो नहीं ??
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-11-2017) को "मत होना मदहोश" (चर्चा अंक-2795) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका ।
हटाएंशब्दों की बारिश से भीगा है मन
जवाब देंहटाएंमीठी सी कविता सच कह रही हैं पंक्तियाँ सदा दी .....कुछ रिश्ते जिंदगी होतें हैं
वाह !! 👌👌
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर भावो को शब्द दिये है आपने
जवाब देंहटाएंरिश्ते पहचान जाते हैं मौसम से दिल का हाल ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ख्याल ...
बहुत ही प्यारी रचना..!!
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते जिन्दगी होते है.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जिनमें फिक्र की
धूप होती है
और ख्यालों की छाँव
वाह!!!!
बहुत ही ख़ूबसूरत पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का ... सादर
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत गहराई तक मन को छू गयी आपकी रचना।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम सृजन।
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!!,बहुत खूबसूरत रचना!👍
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