कुछ रिश्ते
होते हैं कुम्हार से
गढ़ते ही नहीं
आकार भी दे देतें हैं
जीवन को ।
..
कुछ रिश्ते
होते हैं अजनबी से
अन्जाने बिना नाम के
शायद भावनाओं के
जो वक़्त और
परिस्थिति से निर्मित
मन के आँगन में
बने और पनपे होते हैं।
...
होते हैं कुम्हार से
गढ़ते ही नहीं
आकार भी दे देतें हैं
जीवन को ।
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कुछ रिश्ते
होते हैं अजनबी से
अन्जाने बिना नाम के
शायद भावनाओं के
जो वक़्त और
परिस्थिति से निर्मित
मन के आँगन में
बने और पनपे होते हैं।
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वाह्ह्ह....बहुत सुंदर रचना👌
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-11-2017) को
जवाब देंहटाएं"दर्दे-ए-दिल की फिक्र" (चर्चा अंक 2778)
पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
कार्तिक पूर्णिमा (गुरू नानक जयन्ती) की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका .... .🙏 सादर
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी रचना की प्रशंशा के लिए मेरे पास हमेशा शब्द कम पड़ जाते हैं......कमाल का लिखती हैं आप...कहाँ से आती हैं ये लाजवाब नज्मे
जवाब देंहटाएं😊 जहाँ से आप ये प्रोत्साहन के शब्द लाते हैं ... बहुत वहुत आभार भाई !!!
हटाएंकुछ रिश्ते
जवाब देंहटाएंहोते हैं अजनबी से.....बहुत खूब :)
बढ़िया अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और सुन्दर...
जवाब देंहटाएंरिश्तों का अजब संसार है ... पर हर रिश्ताराहता है दिल के करीब ...
जवाब देंहटाएंसटीक भाव ...