मैंने टांक दिया है आज फ़िर
तेरे खामोश लिबास पे
हँसी की जेब को
जिसमें कुछ सिक्के भी
रख छोड़े हैं मुस्कराहटों के
जो तुम्हें चाह कर भी
खिलखिलाने से नहीं रोक पाएंगे !!
तेरे खामोश लिबास पे
हँसी की जेब को
जिसमें कुछ सिक्के भी
रख छोड़े हैं मुस्कराहटों के
जो तुम्हें चाह कर भी
खिलखिलाने से नहीं रोक पाएंगे !!
बहुत खूब , मंगलकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-10-2017) को
जवाब देंहटाएं"सलामत रहो साजना" (चर्चा अंक 2751)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका ... सादर
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जाने भी दो यारो ... “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका 👍
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