शनिवार, 17 जून 2017

बाँहों में आपकी पापा !!!

दुआओ के झूले
कितने हैं झूले
बाँहों में आपकी पापा
थकान को
मुस्कान में बदलने का
हुनर सीखा है आपसे ही
हम मुस्कराते हैं
वज़ह इसकी आप हैं
ज़रूरत हमारी
लगती न आपको
कभी भी भारी
हिम्मत से आपने हर
मुश्क़िल की है नज़र उतारी !!

3 टिप्‍पणियां:

  1. पापा यही तो हैं
    बहुत सुंदर और मन को छूती रचना
    सादर

    मुझे भी पढ़ें

    जवाब देंहटाएं
  2. पापा शायद इस लिए हो होते हैं ... पर मजबूत रहते हैं ...
    अच्छी रचना है ...

    जवाब देंहटाएं

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....