खुशियों को जब भी देखा मैने
नये परिधान में
सोचा ज़रूर ये आज
किसी की हो जाने के लिये
तैयार हुई हैं!
...
बस उनके आग़त का
स्वागत करेगा जो
ये वहीं ठहर जाएंगी
पर कहाँ
इन्हें तो पल भर बाद
फिर आगे बढ़ जाना था
हिम्म़त कर पूछा
इतनी जल्दी चल दीं
थोड़ी देर तो और मेरा
साथ निभाया होता!!
....
वो मुस्करा के बोल उठीं
हम तो रहती हैं
यूँ ही गतिमान
नहीं है निश्चित
हमारा कोई परिधान
जब चाहा
एक लम्हा लिया रब से
किसी को सौंप दिया
फि़र किसी और के पास चले
हम लम्हों के संग
साथ तो तुम्हें निभाना होता है
किसी और की खुशी में
मुस्काराना होता है !!!!
bahut sundar rachna aur bhav....
जवाब देंहटाएंहम लम्हों के संग
साथ तो तुम्हें निभाना होता है
किसी और की खुशी में
मुस्काराना होता है !!!!
Bahut Sahi Baat, Sunder rachna
जवाब देंहटाएंसच ख़ुशी किसी के पास टिक कर नहीं रह सकते हैं ...और यह सच है कि इंसान अपनी ख़ुशी कम अपनों कि ख़ुशी में खुश ज्यादा रहता है उनके लिए लगा रहता है ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
बहुत सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंखुशियाँ तो हर दम खोजनी पड़ती है ......एक दम सही .......शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंवाह..औरों की ख़ुशी में मुस्कुराना आ गया तो हर पल खुशियों का दामन थामना आ गया..
जवाब देंहटाएंहम लम्हों के संग
जवाब देंहटाएंसाथ तो तुम्हें निभाना होता है
किसी और की खुशी में
मुस्काराना होता है !!!!
आपने एकदम सही कहा दीदी ... ये दुनिया ऐसी ही है !
बहुत ख़ूबसूरत! खुशियों को कौन कैद कर सका है. ये फिसल जाती हैं हाथ से. मज़ा तो तब है जब पाई हुई खुशी जहाँ में बाँटें, ताकि खुशियाँ लौट लौट कर आएँ!
जवाब देंहटाएंलाजवाब, बहुत ही सुंदर ...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति। खुशियों की यही प्रकृति है।
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंखुशी चलकर किसी के घर कभी यूं ही नहीं आई
जवाब देंहटाएंजिसने जोर आजमाया उसी के साथ भरमाई।
खुशी चलकर किसी के घर कभी यूं ही नहीं आई
जवाब देंहटाएंजिसने जोर आजमाया उसी के साथ भरमाई।
खुशियों का यही स्वाभाव है बड़ी जल्दी जल्दी दल बदल लेती है
जवाब देंहटाएंमोहक प्रस्तुति
दूसरों को खुशियाँ दो तो तुमको स्वयं ही मिल जायेंगी .... बहुत सुन्दर भाव .
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार,15 अक्तूबर 2015 को में शामिल किया गया है।
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !