विश्वास की मुट्ठी में
डर की उँगली
एक मुस्कान हौसले की लबों पर
सोचती हूँ
कैसा ये रिश्ता है
हार और जीत के पलों में
हौसले का
जो हर बार उम्मीद लिये
आँखों में पलता है
निराशा के रास्तों पर
बड़े ही जोश से
साथ-साथ चलता है!!!!
वही, जो हमें वापस लौटाता है
जवाब देंहटाएंये जज़्बा है ...जो हौंसला बनाये रखता है .....
जवाब देंहटाएंअशोक जी की बात से पूर्णतः सहमत...बहुत उम्दा!!
जवाब देंहटाएंवाह , यही भाव तो जोड़े रखता है
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-01-2015) को ""आसमान में यदि घर होता..." (चर्चा - 1863) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गंभीर सोच के साथ सधी हुई दिल की बाते
जवाब देंहटाएंहौसले से ही उड़ान होती है...
जवाब देंहटाएंजीवन विरोधाभास से भरा है ,इसमें हिम्मत और हौसला ही काम आता है |
जवाब देंहटाएंतमन्ना इंसान की ......
यही भरोसा जीने का सम्बल देता है। उम्दा।
जवाब देंहटाएंये होंसला ही जीवन को प्रेरित करता है ... इसका साथ जरूरी है हर इंसान को ...
जवाब देंहटाएंयही रिश्ता तो जीवन का संबल है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनिराशा का रास्ता नाप लिया जाता है जब साथ विश्वास का हौसला हो । प्रेरक सोच ।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद अपने सधे हुये अन्दाज़ में एक दार्शनिक सोच!!
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