शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना !!!!













एक दिन में ले आई लम्‍बी डोर
नापने लगी कद यादों का
वो झल्‍लाईं बावली हुई है
हमारा कद नापो मत
हमारी बढ़त रूक जाएगी
मैं मुस्‍कराई
ठहर कर सोचने लगी
यादों की बढ़त के बारे में
लगी जब फिसलने
वे रेत की तरह मेरी हथेली से
जाने क्‍यूँ मैं इन्‍हें थाम कर रख ना पाई
एक जगह बस घूमती रहीं
ये मेरे इर्द-गिर्द या फिर
मैं ही इनसे दूर जा ना पाई !!!
....
हर मन में यादों का एक गोलाम्‍बर होता है,
हर याद करती है जाने कितनी बार
परिक्रमा उसकी
जिसके इर्द-गिर्द हम
कितनी यादों को क्रम से खड़ा कर देते हैं
सब अपनी बारी आने तक
हमारी ओर ही तकती रहती हैं
किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना
मन का बेचैन कर देता है !!!!
...

32 टिप्‍पणियां:

  1. करता तो है बेचैन यादों का कारवां, पर यही एकमात्र संबल भी तो है हमारा!

    बेहद सुन्दर लिखा है!

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  2. कड़ी बनती जीवन की ....!!
    यादें बेचैन करतीं हैं ...और चैन भी देती हैं ....

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  3. यादों का कद-
    प्रभावी बेहद -
    आभार आदरेया-

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  4. यादों का सिलसिला रोकने के कोशिश में तो और बढेगी ……रेत की तरह फिसलते चली जाएगी........!!
    चैन और बेचैन दोनों तो इसी से है.....

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  5. यादों से जितना जंग करो उतना तंग करती हैं.....

    बहुत सुन्दर विचार..
    सस्नेह
    अनु

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  6. हर मन में यादों का -------कितनी यादों को खड़ी कर देते हैं |बहुत सुन्दर पंक्ति |
    बढ़िया रचना |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  7. yaden hoti hi aisi hain ki agar ek baar man ke patal par dastak de gayi to unake gird hi ghoomate rahiye. bahut sundar dhang se bhavon ko prastut kiya hai. ek bahtareen rachana.

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  8. किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना
    मन का बेचैन कर देता है !!!!

    वाह बहुत सुंदर फलसफा है यादों का..

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  9. किसीके रोके कहाँ रुका है इन यादों का कारवां … कभी चैन देती हैं तो कभी बैचेनी, लेकिन हैं तो सबसे ज्यादा अपनी ... हर पल साथ निभाती हैं ये यादें। … बहुत खूबसूरती से शब्द दिए हैं अहसासों को

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  10. बहुत सुन्दर गहन अभिवयक्ति....

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  11. सही चित्रण किया है आपने यादों का ...गोलाम्बर !!!

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  12. किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना
    मन का बेचैन कर देता है !!!!
    यादें जीवन को मायने देती हैं और संचित हैं तो जीवन का उद्देश्य भी बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  13. किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना....बहुत सही है बिंब..सुंदर रचना

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  14. वाह बहुत खूब ...कुछ मन की बाते

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  15. वाह , बहुत सुंदर


    यहाँ भी पधारे

    गजल
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html

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  16. यादें ... उम्र से लंबी और सागर से गहरी ...
    इनसे दूर जाना कहां संभव ...

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  17. यादें और उनका फ्रेम दोनों नए हैं. बहुत खूब.

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  18. बहुत सुन्दर यादें अक्सर तडपाती हैं

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  19. यादें कहाँ उम्र भर पीछा छोड़ती हैं...बहुत सुन्दर

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  20. यादें याद आती है, बहुत सुंदर

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  21. यादों की बातें कहाँ से शुरू होकर कहाँ तक चली आती हैं!

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  22. पहले वक्त हमारे हाथों से रेत की तरह फिसलता है..फिर धीरे-धीरे उस वक्त से मिली यादें भी ऐसे ही फिसल जाती हैं..मार्मिक प्रस्तुति।।।

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  23. यादें घूमती रहती हैं खुद के चारों ओर .... बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  24. सदा जी , इस कविता ने बहुत कुछ छु लिया .. शब्दों का अनूठा प्रयोग है ..
    दिल से बधाई स्वीकार करे.

    विजय कुमार
    मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

    मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....