सच झूठ के पर्दों के नीचे से
अपना हाथ हिलाता है
जाने कितने चेहरे
मुस्करा देते हैं उस क्षण
त्याग तपस्या पर बैठा था
पलको को मूँदे
कोई बोधतत्व था मन को पकड़े हुए
सोचो कैसे ठहरा होगा
यह शरारती मन
....
मन की कामनाओं को बखूबी जानती हूँ,
बस भागता ही रहता है
पल भर भी स्थिरता नहीं है
क्षणांश जब भी क्रोध से कुछ कहा
एक कोना पकड़
सारे जग से नाता तोड़
आंसुओं से चेहरे को धोता रहा
हिचकियों को बुला भेजा
देने को सदाएँ
इसको साधना इतना आसान नहीं
जब भी यह हाथ लगा है किसी के तो ...
....
युगांतकारी परिवर्तन
जब भी होते हैं
सोच बदल जाती है
साथ ही बदल जाता है
जिन्दगी को देखने का नजरिया भी
विश्वास लौटकर आता है
उलटे पाँव जब
तब पैरों के छाले पीड़ा नहीं देते !!!
man to man hai,jo kare so kam hai...sundar rachnaa
जवाब देंहटाएंविश्वास लौटकर आता है
जवाब देंहटाएंउलटे पाँव जब
तब पैरों के छाले पीड़ा नहीं देते ...~बिल्कुल सच कहा आपने!
~सादर!!!
युगांतकारी परिवर्तन
जवाब देंहटाएंजब भी होते हैं
सोच बदल जाती है
साथ ही बदल जाता है
जिन्दगी को देखने का नजरिया भी ...बहुत सुन्दर विचार..सार्थक अभिव्यक्ति..शुभकामनाएं
युगांतकारी परिवर्तन
जवाब देंहटाएंजब भी होते हैं
सोच बदल जाती है
साथ ही बदल जाता है
जिन्दगी को देखने का नजरिया भी ..
ये बिलकुल सच है ... हर परिवर्तन का असर मन पे पड़ता है और कुछ बदलाव आ ही जाता है जीवन देखने के नजरिये पे ...
सच में ..... तब मानो संघर्ष सफल हो जाता है .....
जवाब देंहटाएंसोच बदल जाती है
जवाब देंहटाएंसाथ ही बदल जाता है
जिन्दगी को देखने का नजरिया भी ..
ये बिलकुल सच है ... सुन्दर हृदयस्पर्शी
बिल्कुल सत्य कहा, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्तम....
सार्थक अभिव्यक्ति.........
सस्नेह
अनु
वाह ! मन को साधने का सूत्र देती सुंदर पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति है आदरेया-
जवाब देंहटाएंआभार
सही कहा मन को साधना इतना आसान नहीं है.....बहुत बढ़िया लगी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंमन का परिवर्तन सोचने का रुख बदल देता है... सभी बहुत अच्छी. बधाई.
जवाब देंहटाएंएक केन्द्र रह रह बनता है, मेरे मन में,
जवाब देंहटाएंकृत्रिम ज्वार बन बन ढहता है, मेरे मन में,
लगता है, हर कुछ वह चाहा, जो न अभीप्सित,
तनिक मुड़ो, पुनि पुनि कहता है, मेरे मन में।
वाह ,..खूबसूरत पोस्ट ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ....!!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (24-07-2013) को में” “चर्चा मंच-अंकः1316” (गौशाला में लीद) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच कहा........ सारा खेल तो मन का ही है...
जवाब देंहटाएंजिसने भी मन को साधा..... सब कुछ पा गया ...
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों बाद आपको यहां देख पा रहा हूं
मुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
"आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: एक दिन
विश्वास लौटकर आता है
जवाब देंहटाएंउलटे पाँव जब
तब पैरों के छाले पीड़ा नहीं देते !!!
सच को गहनता से लिखा है .... बहुत सुंदर ।
वाह!
जवाब देंहटाएंआनंद दायक।
बहुत सुन्दर भाव ,सुन्दर प्रस्तुति .बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढने को मिला ,पर अच्छा मिला.
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
latest दिल के टुकड़े
विश्वास कितनी बडी शक्ति है जीवन में । सुंदर रचना अध्यात्मिकता के साथ ।
जवाब देंहटाएंye man yesa hi mahodaya ....fir bhi aapne isko guth hi diya shabdon me
जवाब देंहटाएंbahut sundar srijan
युगांतकारी परिवर्तन
जवाब देंहटाएंजब भी होते हैं
सोच बदल जाती है
साथ ही बदल जाता है
जिन्दगी को देखने का नजरिया भी
विश्वास लौटकर आता है
उलटे पाँव जब
तब पैरों के छाले पीड़ा नहीं देते !!!
निःशब्द करती बेहतरीन **********
बिलकुल सच कहा आपने
जवाब देंहटाएंमन की कामनाओं को बखूबी जानती हूँ,
जवाब देंहटाएंबस भागता ही रहता है
पल भर भी स्थिरता नहीं है
क्षणांश जब भी क्रोध से कुछ कहा
एक कोना पकड़
सारे जग से नाता तोड़
आंसुओं से चेहरे को धोता रहा
हिचकियों को बुला भेजा
देने को सदाएँ
इसको साधना इतना आसान नहीं
जब भी यह हाथ लगा है किसी के तो ... .निशब्द करती लाजवाब पंक्तियाँ
विश्वास लौटकर आता है
जवाब देंहटाएंउलटे पाँव जब
तब पैरों के छाले पीड़ा नहीं देते
वाकई पीड़ा कम लगती है ..
सुंदर रचना , आभार !
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - एकला चलो पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंमन का विश्वास जागता है तो तन की बाधायें अनायास शान्त हो जाती हैं - बिलकुल सही आपका कथन!
जवाब देंहटाएंसदा , बहुत कुछ कहती हुई रचना . एक सौम्य सा शांत सा प्रभाव मन पर छोड़ता हुआ.
जवाब देंहटाएंदिल से बधाई .