एक दिन में ले आई लम्बी डोर
नापने लगी कद यादों का
वो झल्लाईं बावली हुई है
हमारा कद नापो मत
हमारी बढ़त रूक जाएगी
मैं मुस्कराई
ठहर कर सोचने लगी
यादों की बढ़त के बारे में
लगी जब फिसलने
वे रेत की तरह मेरी हथेली से
जाने क्यूँ मैं इन्हें थाम कर रख ना पाई
एक जगह बस घूमती रहीं
ये मेरे इर्द-गिर्द या फिर
मैं ही इनसे दूर जा ना पाई !!!
....
हर मन में यादों का एक गोलाम्बर होता है,
हर याद करती है जाने कितनी बार
परिक्रमा उसकी
जिसके इर्द-गिर्द हम
कितनी यादों को क्रम से खड़ा कर देते हैं
सब अपनी बारी आने तक
हमारी ओर ही तकती रहती हैं
किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना
मन का बेचैन कर देता है !!!!
...
करता तो है बेचैन यादों का कारवां, पर यही एकमात्र संबल भी तो है हमारा!
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर लिखा है!
कड़ी बनती जीवन की ....!!
जवाब देंहटाएंयादें बेचैन करतीं हैं ...और चैन भी देती हैं ....
यादों का कद-
जवाब देंहटाएंप्रभावी बेहद -
आभार आदरेया-
yadein aisi hi hoti hain...sundar
जवाब देंहटाएंयादों का सिलसिला रोकने के कोशिश में तो और बढेगी ……रेत की तरह फिसलते चली जाएगी........!!
जवाब देंहटाएंचैन और बेचैन दोनों तो इसी से है.....
यादों से जितना जंग करो उतना तंग करती हैं.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार..
सस्नेह
अनु
हर मन में यादों का -------कितनी यादों को खड़ी कर देते हैं |बहुत सुन्दर पंक्ति |
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना |
आशा
yaden hoti hi aisi hain ki agar ek baar man ke patal par dastak de gayi to unake gird hi ghoomate rahiye. bahut sundar dhang se bhavon ko prastut kiya hai. ek bahtareen rachana.
जवाब देंहटाएंकिसी याद का फिरकनी की तरह घूमना
जवाब देंहटाएंमन का बेचैन कर देता है !!!!
वाह बहुत सुंदर फलसफा है यादों का..
यादों की सटीक व्याख्या.
जवाब देंहटाएंरामराम.
किसीके रोके कहाँ रुका है इन यादों का कारवां … कभी चैन देती हैं तो कभी बैचेनी, लेकिन हैं तो सबसे ज्यादा अपनी ... हर पल साथ निभाती हैं ये यादें। … बहुत खूबसूरती से शब्द दिए हैं अहसासों को
जवाब देंहटाएंगहन अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंAapki ye rachana manko behad bechain kar gayi.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गहन अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंसही चित्रण किया है आपने यादों का ...गोलाम्बर !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गहन अभिवयक्ति.!!
जवाब देंहटाएंकिसी याद का फिरकनी की तरह घूमना
जवाब देंहटाएंमन का बेचैन कर देता है !!!!
यादें जीवन को मायने देती हैं और संचित हैं तो जीवन का उद्देश्य भी बहुत सुन्दर प्रस्तुति
किसी याद का फिरकनी की तरह घूमना....बहुत सही है बिंब..सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...कुछ मन की बाते
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारे
गजल
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html
बहुत सुन्दर कहा है..
जवाब देंहटाएंस्मृतियाँ झँकझोर जाती हैं।
जवाब देंहटाएंयादें ... उम्र से लंबी और सागर से गहरी ...
जवाब देंहटाएंइनसे दूर जाना कहां संभव ...
यादें और उनका फ्रेम दोनों नए हैं. बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर यादें अक्सर तडपाती हैं
जवाब देंहटाएंयादें कहाँ उम्र भर पीछा छोड़ती हैं...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंयादें याद आती है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंयादों की बातें कहाँ से शुरू होकर कहाँ तक चली आती हैं!
जवाब देंहटाएंपहले वक्त हमारे हाथों से रेत की तरह फिसलता है..फिर धीरे-धीरे उस वक्त से मिली यादें भी ऐसे ही फिसल जाती हैं..मार्मिक प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंयादें घूमती रहती हैं खुद के चारों ओर .... बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसदा जी , इस कविता ने बहुत कुछ छु लिया .. शब्दों का अनूठा प्रयोग है ..
जवाब देंहटाएंदिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
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